Monday, 17 September 2018

                                                                  अपठित ३७
बात बहुत पुरानी है | एक राजा जंगल में आखेट ( शिकार ) के लिए गया | संध्या हो जाने के कारण वह रास्ता भटक गया | वह भूख-प्यास से व्याकुल था | दूर-दूर तक उसे कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा था | वह विवशतावश निराश हो चला जा रहा था, कि अचानक उसे आशा की एक किरण दिखाई दी | एक झोंपड़ी से दीये का मंद-मंद प्रकाश झाँककर मानो राजा को आमंत्रित कर रहा था | राजा तेज़ी से झोंपड़ी की ओर बढ़ा | राजा ने झोंपड़ी का द्वार खटखटाया, तो एक वनवासी युवक ने द्वार खोला | राजा कुछ आग्रह करता उससे पहले ही वनवासी ने राजा की मनःस्थिति पढ़ ली और उसने राजा का आतिथ्य किया | शीतल जल से राजा की प्यास बुझी एवं साधारण किन्तु प्रेम से पकाए गए भोजन से राजा की क्षुधा शांत हुई | नवजीवन पाकर राजा अत्यंत प्रसन्न था | उसने युवक अपना को परिचय दिया एवं चन्दन वन उसे पुरस्कार स्वरूप दे दिया | वनवासी युवक चन्दन के महत्त्व से अनजान था | उसे ज्ञात न था कि चन्दन बहुत ही कीमती पेड़ होता है | उचित जानकारी के अभाव में वह प्रतिदिन पेड़ काटता, जलाता एवं उसका कोयला बनाकर शहर में बेच आता | इस प्रकार धीरे-धीरे सारे पेड़ समाप्त हो गए | केवल एक ही पेड़ शेष रहा | वर्षा होने के कारण आज वह पेड़ को जला नहीं पा रहा था अतः उसने पेड़ की कुछ बड़ी टहनियाँ काटीं और गठ्ठर बना कर शहर जा पहुँचा | व्यापारियों ने गठ्ठर देखा और उसकी बहुत अधिक कीमत लगाई | अधिक कीमत सुनकर युवक को बड़ा आश्चर्य हुआ | युवक ने उनसे अधिक कीमत के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि “यह चन्दन की लकड़ी है , यह अत्यंत मूल्यवान है | यदि तुम्हारे पास और हो तो बताओ हम तुम्हें उसका प्रचुर मात्रा में दाम देंगे” | यह सुनकर युवक ठगा सा रह गया | उसे अपनी मूर्खता पर अत्यंत दुःख हुआ | वह अपना सिर पकड़ कर बैठ गया और विचार करने लगा कि जानकारी के अभाव में उसने बहुमूल्य काष्ठ्सम्पदा को नष्ट कर दिया | एक वृद्ध सज्जन यह सब देख-सुन रहे थे | उन्होंने युवक को सांत्वना देते हुए समझाया कि ज्ञान के अभाव में ही ऐसा हुआ है | तुम्हारे पास जो एक वृक्ष बचा है उससे ही तुम आगे की योजना बनाकर लाभ उठा सकते हो |
इस समस्त घटना की जानकारी जब राजा को मिली तो राजा को अपने किए पर पश्चाताप हुआ और उसे समझ आया कि पारितोषक देते समय व्यक्ति की योग्यता पर विचार अवश्य कर लेना चाहिए | अयोग्य के हाथ में दिया गया धन बंदर के हाथों मोती की भांति ही नष्ट हो जाता है |
प्रश्न १ राजा किस कार्य से जंगल में गया था ?
प्रश्न २ झोंपड़ी से राजा को कौन आमंत्रित कर रहा था ?
प्रश्न ३ झोंपड़ी में कौन रहता था, उसने राजा के साथ कैसा व्यवहार किया?
प्रश्न ४ भोजन कैसा था?
प्रश्न ५ राजा ने युवक को पुरस्कार में क्या दिया, युवक ने पुरस्कार का क्या किया ?
प्रश्न ६ युवक को पेड़ से टहनियाँ क्यों काटनी पड़ी एवं उसका क्या परिणाम हुआ ?
प्रश्न ७ व्यापारियों की बातें सुनकर उसने क्या विचार किया
प्रश्न ८ गद्यांश में आए ‘ता’ प्रत्यय वाले दो शब्द लिखिए  तथा निम्नलिखित शब्दों के अर्थ लिखिए –
१ बहुमूल्य                २ पश्चाताप
प्रश्न ९ निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए –
१ पेड़        २ पुरस्कार          ३ जंगल            ४ संध्या
प्रश्न १० स्वविवेक से बताइए कि एकमात्र शेष रहे पेड़ का सदुपयोग युवक ने किस प्रकार किया होगा ?




Friday, 14 September 2018

                                                                अपठित ३६
‘गजानन’ यानि कि ‘गणेश’ जी का अद्भुत स्वरूप देखकर मन में अनेकानेक प्रश्न उठते हैं, कि कैसा विचित्र रूप है फिर भी सभी देवताओं में सर्वप्रथम पूजे जाते है गणपति | क्यों ? भले ही रूप विचित्र हो, अंगों का आकार-प्रकार भिन्न हो, किन्तु अंग- प्रत्यंग की इस भिन्नता का समायोजन एक विशिष्ट उददेश्य एवं कला को दर्शाता है और वो कला है उत्तम प्रबंधन की | यथा - गणेश जी का चौड़ा मस्तक उनकी बुधिमत्ता तथा विवेकशीलता को दर्शाता है | हमें सन्देश देता है कि हम अपने मस्तिष्क में योजनाओं तथा विचारों को एकत्रित कर समग्रता के साथ विचार कर, मनन-चिंतन कर फिर उस दिशा में कार्य करें | गणेश जी की लम्बी सूँड संवेदन शक्ति का प्रतीक है, जो हर आने वाले संकट को दूर से ही पहचान लेती है | सूँड यानि ग्रहण करने की शक्ति | हमारी सजगता एवं अच्छे-बुरे की परख पर ही हमारी सफलता निर्भर करती है | गणेश जी के छोटे नेत्र सूक्ष्म किन्तु तीक्ष्ण दृष्टि रखने की प्रेरणा देते हैं | हमें अपने लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए प्रेरित करते हैं | विशाल सूप जैसे कान बताते हैं कि हमें कान का कच्चा नहीं होना चाहिए | हमें सबकी बातों को ध्यान पूर्वक सुनकर, जो केवल काम की हों उन्हें ही ग्रहण करना चाहिए शेष तुच्छ बातों को उसी प्रकार छोड़ देना चाहिए जैसे कि सूप केवल सार को ही रखता है और कचरे को उड़ा देता है | ऐसा करके हम सुखी एवं तनावमुक्त जीवन जी सकते हैं | गणपति जी  का एक दांत संकेत देता है कि जीवन में एक लक्ष्य होना चाहिए | लम्बा तथा मोटा पेट सभी बातों को पचा लेने की ओर इंगित करता है | यदि कोई अपनी बात, कोई रहस्य हमारे साथ साझा करता है तो हमें उसे अपने तक ही सीमित रखना चाहिए | यह मन्त्र हमारे जीवन की सफलता-असफलता को निश्चित करता है | लम्बोदर की चार भुजाएँ कहतीं हैं कि यदि जीवन में सफलता प्राप्त करनी है तो चहुंमुखी प्रयास करने होंगे | गणेश जी ने छोटे से जीव मूषक को अपनी सवारी बनाकर उसका गौरव बढ़ाया है | उनका यह प्रबंधन हमें सीख देता है कि संसार में चाहे कोई छोटा हो या बड़ा सबको सम्मान दो एवं सबके प्रति स्नेहभाव रखो |
इन सभी विशेषताओं के कारण ही गणपति सभी शुभ कार्यों में प्रथम पूजे जाते हैं | उनसे प्रार्थना की जाती है कि हमारे समस्त कार्य बिना किसी रुकावट के संपन्न हों | इस प्रकार यदि हम गणेश जी से प्रबंधन की कला सीखें तो जीवन में हम निश्चित रूप से सफल होंगे |
प्रश्न १ – गद्यांश में आए गणेश जी के दो पर्यायवाची शब्द लिखिए |
उत्तर १ –  १ - ..............      २ - ................
प्रश्न २ – गणेश जी का मस्तक कैसा है और यह किसका प्रतीक है ?
उत्तर २ - ...................................................................................
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प्रश्न ३ – गणेश जी ने किस प्राणी को अपनी सवारी चुना ? उनका यह चुनाव हमें क्या बताता है ?
उत्तर ३ - .....................................................................................
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प्रश्न ४ – सूप की क्या विशेषता है ?
उत्तर ४ - ..........................................................................................................................................................................................................
प्रश्न ५ – सभी देवी- देवताओं में गणेश जी का पूजन सर्वप्रथम होता है , क्यों ?
उत्तर ५ - ....................................................................................
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प्रश्न ६ – निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए –
१ – निश्चित  x .................. २ - सफलता x ..................
३ – सम्मान  x .................... ४ – शुभ    x ....................
प्रश्न ७ – ‘ता’ प्रत्यय वाले  दो शब्द लिखिए –
उत्तर – १ .................   २ .................
प्रश्न ८ – गद्यांश  का उचित शीर्षक लिखिए –
उत्तर - .................................................................................
प्रश्न  ९ – निम्नलिखित शब्दों के अर्थ लिखिए –
१ विशाल .................. २  समस्त ...................
प्रश्न १० – गद्यांश में आए दो विशेषण शब्द लिखिए –
उत्तर  - १ .......................  २ .......................

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