अपठित पदयांश
मैं
हूँ एक बदली, कुछ
बदली-बदली,
धुन है
सवार कुछ करने की
आगे
बढ़कर, न
पीछे मुड़ने की
न
अलसाई , न
मुरझाई
हूँ
शरद धूप सी खिली-खिली |
मैं एक बदली, कुछ बदली-बदली
बरसाती
हूँ मैं अपनापन ,
हर
लेती मन का सूनापन
हर
पीड़ा को हरने की चाह लिए
बन
जाती हूँ अक्षय वट सी
मैं एक बदली, कुछ बदली-बदली |
उपर्युक्त पदयांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर निम्नलिखित
प्रश्नों के उत्तर लिखिए –
प्रश्न १ – पदयांश में कवयित्री ने ‘बदली’ किसे
कहा है ? चित्रण कीजिये –
प्रश्न २ – ‘न अलसाई , न मुरझाई’ से क्या तात्पर्य
है ?
प्रश्न
३ – ‘शरद ऋतु’ की धूप का वर्णन
अपने शब्दों में कीजिये –
प्रश्न
४ – ‘हर’ शब्द पदयांश में
कितनी बार प्रयुक्त हुआ है ? बताइये एवं उसके अलग-अलग
अर्थ स्पष्ट कीजिये –
प्रश्न
५ – प्रस्तुत पदयांश को क्या नाम देना चाहेंगे ?
प्रश्न
६ – ‘भारत’ देश की प्रमुख ऋतुओं के नाम क्या हैं ?
प्रश्न
७- निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए –
‘अपनापन’ , ‘अक्षय’
प्रश्न
८ – मेघ शब्द के दो पर्यायवाची शब्द लिखिए
प्रश्न
९ – पदयांश में कितनी बार ई प्रत्यय प्रयुक्त हुआ है ? ई प्रत्यय वाले शब्द चुनकर लिखिए
प्रश्न
१० - पदयांश में प्रयुक्त संज्ञा शब्द ढूंढकर लिखिए -