Monday, 1 July 2019


     अपठित पदयांश

मैं हूँ एक बदली, कुछ बदली-बदली,
धुन है सवार कुछ करने की
आगे बढ़कर, न पीछे मुड़ने की
न अलसाई , न मुरझाई
हूँ शरद धूप सी खिली-खिली |
मैं एक बदली, कुछ बदली-बदली

बरसाती हूँ मैं अपनापन ,
हर लेती मन का सूनापन
हर पीड़ा को हरने की चाह लिए
बन जाती हूँ अक्षय वट सी
मैं एक बदली, कुछ बदली-बदली |

उपर्युक्त पदयांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए –
प्रश्न १ – पदयांश में कवयित्री ने बदली किसे कहा है ? चित्रण कीजिये –
प्रश्न २ – न अलसाई , न मुरझाई से क्या तात्पर्य है ?
प्रश्न ३ – शरद ऋतु की धूप का वर्णन अपने शब्दों में कीजिये –
प्रश्न ४ – हर शब्द पदयांश में कितनी बार प्रयुक्त हुआ है ? बताइये एवं उसके अलग-अलग अर्थ स्पष्ट कीजिये
प्रश्न ५ – प्रस्तुत पदयांश को क्या नाम देना चाहेंगे ?
प्रश्न ६ – भारत देश की प्रमुख ऋतुओं के नाम क्या हैं ?
प्रश्न ७- निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए –
      अपनापन , अक्षय
प्रश्न ८ – मेघ शब्द के दो पर्यायवाची शब्द लिखिए
प्रश्न ९ – पदयांश में कितनी बार ई प्रत्यय प्रयुक्त हुआ है ? ई प्रत्यय वाले शब्द चुनकर लिखिए
प्रश्न १० - पदयांश में प्रयुक्त संज्ञा शब्द ढूंढकर लिखिए -