Wednesday, 22 August 2018


                                                                          अपठित ३५ 
आजकल लगभग हर दिन दुर्घटनाएँ होती रहती हैं | कभी-कभी तो इतनी भयानक होती हैं कि लोग जीवन से भी हाथ धो बैठते हैं, और यदि बच भी गए तो या तो अंग-भंग हो जाते हैं या विकृत हो जाते हैं | जो धनहीन हैं वे इस विकृति के साथ जीवन जीने को विवश होते हैं ,जो धनवान होते हैं वे अपने विकृत अंग को सुधारने के लिए भांति-भांति के प्रयास करते हैं और बहुत कुछ सुधार कर भी लेते हैं | विकृत अंग को सुधारने-सजाने के कार्य को हम प्लास्टिक सर्जरी कहते हैं , जिसे शल्य चिकित्सक करते हैं | इसी प्रकार मनुष्य का कोई अपना बहुत ही प्रिय जब आघात देता है तब उसकी चोट सीधे ह्रदय पर लगती है | उस पीड़ा से मानसिक तनाव होता है , इस तनाव से अन्य कई बीमारियाँ जन्म ले लेती हैं | मानसिक इलाज के लिए मनुष्य मनोचिकित्सक के पास जाता है | मानसिक सर्जरी मनोचिकित्सक के साथ-साथ व्यक्ति स्वयं अपनी सर्जरी स्वयं कर सकता है |
भावनात्मक निशानों या फिर मन की गहरी चोटों का इलाज किसी डॉक्टर द्वारा नहीं किया जा सकता , इसके लिए हमें स्वयं ही मानसिक घावों को पूरी तरह काटकर बाहर निकलना होगा | जिस प्रकार सर्जरी के लिए उपकरणों की आवश्यकता होती है , उसी प्रकार मानसिक सर्जरी के लिए क्षमा ,आत्मसम्मान, ईमानदारी , करुणा , प्रेम और आत्मविश्वास जैसे उपकरणों की आवश्यकता होती है | ये सभी उपकरण ईश्वर ने मनुष्य को सहज ही दिए हैं | मनुष्य ही इनका प्रयोग करना भूल जाता है ,इससे मन के घाव बढ़ते जाते हैं | शरीर की सर्जरी करने के लिए एक कुशल सर्जन की आवश्यकता होती है , उसी प्रकार मानसिक सर्जरी के लिए किसी चिकित्सक की नहीं बल्कि व्यक्ति के सकारात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है | सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करना हर इंसान के लिए कठिन तो है पर असंभव नहीं | जीवन में सुख-दुःख समान रूप से आते रहते हैं ,इसी तरह शारीरिक व मानसिक चोटें भी जीवन का एक हिस्सा हैं | इन्हें जीवन से निकाला नहीं जा सकता , लेकिन कम किया जा सकता है | हम सड़क पर चलते हुए दुर्घटनाओं से सावधान रहते हैं, ठीक उसी तरह क्रोध और लड़ाई के समय मानसिक दुर्घटना से सावधान रहना चाहिए और आवेश अथवा क्रोध में अनर्गल वार्तालाप नहीं करना चाहिए | क्रोध करने से मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ता है यहाँ तक कि दिमाग की नसें भी फट सकती हैं | अंततः स्वयं को इनसे बचाने के लिए हमें अपने अंतर्मन में धैर्य,शांति और क्षमा आदि गुणों को विकसित करना चाहिए |
प्रश्न १ – गद्यांश के अनुसार मनुष्य के अंगों में विकृति आ जाती है |
कैसे ? स्पष्ट कीजिए |
प्रश्न २ – अंगों कोसुधारने का कार्य कौन करता है, तथा इस कार्य को क्या कहते हैं ?
प्रश्न ३ – मानसिक चोट के इलाज के लिए मनुष्य किसके पास जाता है ?
प्रश्न ४ – मानसिक सर्जरी के लिए कौन-कौन से उपकरणों की आवश्यकता होती है ?
प्रश्न ५ - मानसिक सर्जरी के लिए मनुष्य का दृष्टिकोण कैसा होना चाहिए ?
प्रश्न ६ – हमें अपने अंतर्मन में किन गुणों का विकास करना चाहिए ?
प्रश्न ७ – निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए –
१ – धनवान x ३ – गुण x
२ - सुख x ४ – शांति x
प्रश्न ८ – गद्यांश से चार संज्ञा शब्द चुनकर लिखिए –
१ - २ -
३ - ४ -
प्रश्न ९ – निम्नलिखित शब्दों के वचन बदलिए –
१ – बीमारियाँ x २ – चोटों x
३ – दुर्घटना x ४ – नसें x
प्रश्न – आप गद्यांश को क्या नाम देना चाहेंगे ?

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