Monday, 20 February 2017

                                अपठित गद्यांश १४ 
पतंग के जन्म के बारे में ठीक-ठीक जानकारी तो इतिहास में नहीं मिलती ,पर कुछ ठोस जानकारी के हिसाब से करीब दो हजार वर्ष पूर्व चीन में किसी किसान ने मजाक-मजाक में अपनी टोपी में डोरी बाँधकर हवा में उछाल दिया था ,और वह दुनिया की पहली पतंग बन गई | बाद में कुछ चीनी व्यापारियो से होते हुए यह विश्वभर में प्रचलित हो गई | आज भारत के गुजरात राज्य के अहमदाबाद शहर में होने वाले  काईट उत्सव से हर कोई परिचित है | इस महोत्सव में भाग लेने के लिए हर वर्ष  विश्व के कोने-कोने से प्रतियोगी भारत आते हैं | इन दिनों गुजरात की छठा ही निराली होती है | आसमान में उडती रंग-बिरंगी पतंगें मानो जादू सा कर देतीं हैं ,हर कोई इस उत्सव में खिंचा चला आता है | पूरा आसमान विभिन्न आकारों की रंग-बिरंगी पतंगों से भर जाता है |दो हजार ग्यारह में देश की राजधानी दिल्ली के इंडिया गेट पर पतंगबाजी आईपीएल दो दिन हुआ था | पहले दिन देश के कोने-कोने से आये खिलाड़ी पेंच लड़ाते नजर आये दूसरा दिन आम लोगों के नाम हुआ | इस मुकाबले में महिलाओं को भी हुनर दिखने का मौक़ा मिला |वैसे तो भारत में बच्चे गर्मियों की छुट्टी में पतंग उड़ाते हैं किन्तु कई राज्यों में मकर-संक्रांति ,छब्बीस-जनवरी एवं पंद्रह अगस्त को पतंग उड़ाई जाती हैं| ऊंचीं उड़ती पतंग खिलाड़ियों के मन में सकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित करती है तो नकारात्मकता स्वयं दूर हो जाती है | पतंगबाजी मानव को कल्पनाशील भी बनाती है | जिस प्रकार पतंग  विपरीत हवा में आसमान में ऊँची उड़ती है , वैसे ही विपरीत परिस्थितियों में ही मनुष्य के धैर्य तथा साहस की परीक्षा होती है | पतंगबाजी से पूरे शरीर का व्यायाम भी हो जाता है | 

अपठित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखिए-

प्रश्न १- दुनिया की पहली पतंग के बारे में बताइए |
प्रश्न २-काईट उत्सव कहाँ मनाया जाता है ?
प्रशन ३- भारत में पतंग कब-कब उड़ाई जाती है ?
प्रश्न ४-आसमान में उड़ती पतंग हमें क्या सन्देश देती है ?
प्रश्न ५- स्वविवेक से बताइए कि पतंगबाजी से हमारे पूरे शरीर का व्यायाम किस प्रकार होता है ?  


 उत्तर
उत्तर १- सही जानकारी तो नहीं है किन्तु दो हजार वर्ष पूर्व चीन में किसी किसान ने मजाक-मजाक में अपनी टोपी में डोरी बाँधकर हवा में उछाल दिया था ,और वह दुनिया की पहली पतंग बन गई |
उत्तर २-भारत के गुजरात राज्य  के अहमदाबाद शहर में काईट उत्सव मनाया जाता है |
 उत्तर ४- भारत में मकर-संक्रांति ,छब्बीस-जनवरी एवं पंद्रह अगस्त को पतंग उड़ाई जाती है |
उत्तर ५- जब हम पतंग उड़ाते हैं तब हमारे दोनों हाथ,कंधे,पैर ,गर्दन सबका सहयोग रहता है | सब पतंग को ऊँचा उड़ाने के लिए प्रयत्नशील रहते हैं | इस प्रकार पतंगबाजी से हमारे पूरे शरीर का व्यायाम होता है| 

Sunday, 19 February 2017

                               

                                                             अपठित १३
हर व्यक्ति के जीवन में एक बार तो ऐसा समय आता ही है जब उसे लगने लगता है कि सारी चीजें विरोध में हैं | वह किसी के लिए कितना भी अच्छा सोचे सामने वाले को गलत ही लगेगा |वह कितनी भी मेहनत कर ले उसे असफलता ही मिलेगी | ऐसे समय में उसके मस्तिष्क में नकारात्मक विचार ही घुमड़ते रहते हैं | जो निरंतर अविश्वास की बारिश करते हैं तथा निराशा में डुबो देते हैं | इस परिस्थिति में मनुष्य को सरल मार्ग दिखाई देता है आत्महत्या का | किन्तु आत्महत्या कर  जीवन को विराम देना कोई समाधान नहीं है | यदि ऐसी स्थिति में कोई आगे बढ़कर हाथ थाम ले , कोई सहारा दे तो हो सकता है कि जीवन से निराश व्यक्ति का जीवन भी प्रकाशित हो जाए और ऐसा व्यक्ति अवसाद से मुक्त हो इतना बड़ा कार्य करे कि इतिहास ही रच दे , और लोग दाँतों तले अँगुली दबा लें | कहने का तात्पर्य है कि यदि हम  किसी हताश-निराश व्यक्ति  को प्रेरित करते हैं तो उसका मनोबल बढ़ता है | उसका आत्मविश्वास जाग जाता है और यहीं से आरम्भ होता है असंभव को संभव कर दिखाना | देखा जाए तो हर व्यक्ति की अपनी क्षमताएँ एवं सीमाएं  होती हैं , किन्तु विपरीत परिस्थिति होने पर उसे अपनी ही शक्ति पर अविश्वास सा होने लगता है | ऐसे में उसका मनोबल डगमगाने लगता है , इस स्थिति में थोड़ी सी प्रेरणा ही उसे उत्साहित कर देती है | इस बात को हम ऐसे भी समझ सकते हैं कि जब सबको पता लग चुका था कि सीता जी को लंका का राजा रावण  अपहरण कर समुद्र पार कर लंका ले गया है तब भी लंका जाकर सीता जी को ढूंढने का कार्य अथाह समुद्र को पार कौन करे ,किसमे है इतना साहस | यह विकट समस्या थी |इस विकट समस्या का समाधान जामवंत ने ढूँढ़ निकाला | उन्होंने हनुमानजी को यह कार्य करे हेतु प्रेरित किया एवं उनमे सोई हुई शक्ति का अहसास दिलाया | हनुमानजी को भी अपने पर भरोसा हुआ और  उन्होंने राम-नाम लेते हुए समस्त कार्य पूर्ण कर डाले | तो कहने का तात्पर्य यह है कि हताशा , निराशा और असफलता जैसे शब्द हमारे जीवन के शब्दकोष में नहीं होने चाहिए | बल्कि महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेनी व देनी चाहिए | हमें अपने अच्छे कर्मों को यादकर स्वयं उत्साहित हो पुनः ऊर्जा प्राप्त कर हर असंभव को संभव बनाने का प्रयास करना चाहिए , क्योंकि कोशिश करने वाले कभी हारते नहीं हैं |
अनुच्छेद को ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिये-

प्रश्न १-व्यक्ति के मन में नकारात्मक विचार कब आते हैं ?
प्रश्न २-नकारात्मक विचार आने पर व्यक्ति को कौन सा मार्ग दिखाई देता है ?
प्रश्न ३-निराशा को व्यक्ति कैसे दूर कर सकता है ?
प्रश्न ४-निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द बताएँ -
क-निराशा                                                   ख -असफलता
ग-असंभव                                                   घ-जीवन
प्रश्न ५- गद्यांश का उचित शीर्षक बताएँ
प्रश्न ६-गद्यांश में किस पौराणिक घटना का वर्णन किया गया है ?
प्रश्न ७- कोई चार संयुक्ताक्षर शब्द लिखिए -
प्रश्न ८-गद्यांश में आए पौराणिक चरित्रों के नाम लिखिए |

उत्तर पत्र
उत्तर १-जब उसे लगने लगता है कि सारी चीजें विरोध में हैं | वह किसी के लिए कितना भी अच्छा सोचे सामने वाले को गलत ही लगेगा |वह कितनी भी मेहनत कर ले उसे असफलता ही मिलेगी | ऐसे समय में उसके मस्तिष्क में नकारात्मक विचार ही घुमड़ते रहते हैं |
उत्तर २-नकारात्मक विचार आने पर व्यक्ति को आत्महत्या का सरल मार्ग ही दिखाई देता है |
उत्तर ३-स्वयं पर विश्वास कर ,अपना आत्मविश्वास बढाकर ,महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेकर कोई भी व्यक्ति निराशा को दूर कर सकता है |
उत्तर ४- क-आशा ख-सफलता ग-संभव घ-मरण
उत्तर ५- आत्मविश्वास
प्रशन ६-रामायण की घटना का वर्णन किया गया है |
प्रश्न ७-१-मस्तिष्क  २-नकारात्मक   ३-आत्महत्या  ४- शब्दकोष
प्रश्न ८- सीताजी , हनुमानजी ,जामवंत |

Saturday, 4 February 2017

                           अपठित गद्यांश  १२ 
भगवान कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा को कौन नहीं जानता | भारत में ही नहीं बल्कि,विश्वभर में मथुरा के मंदिरों की धूम है | यदि मथुरा कृष्ण जी की जन्म-भूमि है तो मथुरा से सटे वृन्दावन में उन्होंने बचपन बिताया है | बचपन में कान्हा बड़े ही नटखट थे | माखन चुराना, गोपियों की मटकी तोड़ना उनके प्रिय खेल थे | वे ग्वाल-बालों के साथ गेंद भी खेलते थे | एक बार गेंद खेलते समय उनकी गेंद यमुना में चली गई | उनके सभी मित्र उदास हो गए कि गेंद तो यमुना में चली गई है , अब कैसे खेलेंगे ? कान्हा ने उन्हें आश्वासन दिया कि वे नदी से गेंद लेकर आते हैं | सब ग्वालों ने उन्हें रोकते हुए कहा कि यमुना जी में एक भयंकर काला नाग रहता है ,वह तुम्हें जीवित नहीं छोड़ेगा | अतः हमें खेलने का विचार त्याग कर घर वापस चलना चाहिए | जब-तक मित्र-मण्डली कुछ समझ पाती कन्हैया कालिंदी में कूद गए | सब घबरा गए और भागकर यशोदा मैया के पास गए | उन्हें सारी बात बतायी | यशोदा मैया और नंदबाबा रोते-बिलखते यमुना तट पहुँचे, वे मन ही मन ईश्वर से प्रार्थना कर रहे थे कि " प्रभु मेरे लाड़ले को सही-सलामत भेज दो|" इतने में ही उन्होंने देखा कि कन्हैया नाग के सिर पर खड़ा बांसुरी बजा रहा है | कान्हा को सही-सलामत देखकर सबकी जान में जान आई और प्रसन्नता की लहर दौड़ गई | कृष्ण ने कालिया नाग के साथ घोर युद्ध कर उसे हरा दिया था और उसे यमुना जी को छोड़कर कहीं अन्य स्थान पर जाने को कहा था | कहते हैं कि युद्ध के समय उसने विष छोड़ा था ,उसी विष के कारण कालिंदी का रंग काला हो गया |

गद्यांश को ध्यान से पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए
प्रश्न १-भगवान कृष्ण का जन्म कहाँ हुआ था ?
प्रश्न २-कृष्ण जी का बचपन कहाँ बीता ?
प्रश्न ३-अपठित गद्यांश में आए मुहावरे ढूँढकर लिखिए तथा यमुना नदी का दूसरा नाम बताइए
प्रश्न ४-कृष्ण जी किसके साथ गेंद खेल रहे थे तथा गेंद कहाँ चली गई |
प्रश्न ५-  कारण बताइए कि यमुना का रंग काला क्यों हो गया ?
उत्तर पत्र 
उत्तर -भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था |
उत्तर २-कृष्ण जी का बचपन वृन्दावन में बीता |
उत्तर ३- मुहावरे १-जान में जान आई     २- प्रसन्नता की लहर दौड़ गई |
उत्तर ४- कृष्ण जी ग्वाल-बालों के साथ गेंद खेल रहे थे , उनकी गेंद यमुना नदी में चली गई थी |
उत्तर ५-कृष्ण जी गेंद लेने के लिए यमुना में गए और उन्होंने यमुना में रहने वाले कालिया नाग को मार दिया | ऐसा माना जाता है कि उसके विष के कारण ही यमुना नदी का रंग काला हो गया |