Sunday, 19 February 2017

                               

                                                             अपठित १३
हर व्यक्ति के जीवन में एक बार तो ऐसा समय आता ही है जब उसे लगने लगता है कि सारी चीजें विरोध में हैं | वह किसी के लिए कितना भी अच्छा सोचे सामने वाले को गलत ही लगेगा |वह कितनी भी मेहनत कर ले उसे असफलता ही मिलेगी | ऐसे समय में उसके मस्तिष्क में नकारात्मक विचार ही घुमड़ते रहते हैं | जो निरंतर अविश्वास की बारिश करते हैं तथा निराशा में डुबो देते हैं | इस परिस्थिति में मनुष्य को सरल मार्ग दिखाई देता है आत्महत्या का | किन्तु आत्महत्या कर  जीवन को विराम देना कोई समाधान नहीं है | यदि ऐसी स्थिति में कोई आगे बढ़कर हाथ थाम ले , कोई सहारा दे तो हो सकता है कि जीवन से निराश व्यक्ति का जीवन भी प्रकाशित हो जाए और ऐसा व्यक्ति अवसाद से मुक्त हो इतना बड़ा कार्य करे कि इतिहास ही रच दे , और लोग दाँतों तले अँगुली दबा लें | कहने का तात्पर्य है कि यदि हम  किसी हताश-निराश व्यक्ति  को प्रेरित करते हैं तो उसका मनोबल बढ़ता है | उसका आत्मविश्वास जाग जाता है और यहीं से आरम्भ होता है असंभव को संभव कर दिखाना | देखा जाए तो हर व्यक्ति की अपनी क्षमताएँ एवं सीमाएं  होती हैं , किन्तु विपरीत परिस्थिति होने पर उसे अपनी ही शक्ति पर अविश्वास सा होने लगता है | ऐसे में उसका मनोबल डगमगाने लगता है , इस स्थिति में थोड़ी सी प्रेरणा ही उसे उत्साहित कर देती है | इस बात को हम ऐसे भी समझ सकते हैं कि जब सबको पता लग चुका था कि सीता जी को लंका का राजा रावण  अपहरण कर समुद्र पार कर लंका ले गया है तब भी लंका जाकर सीता जी को ढूंढने का कार्य अथाह समुद्र को पार कौन करे ,किसमे है इतना साहस | यह विकट समस्या थी |इस विकट समस्या का समाधान जामवंत ने ढूँढ़ निकाला | उन्होंने हनुमानजी को यह कार्य करे हेतु प्रेरित किया एवं उनमे सोई हुई शक्ति का अहसास दिलाया | हनुमानजी को भी अपने पर भरोसा हुआ और  उन्होंने राम-नाम लेते हुए समस्त कार्य पूर्ण कर डाले | तो कहने का तात्पर्य यह है कि हताशा , निराशा और असफलता जैसे शब्द हमारे जीवन के शब्दकोष में नहीं होने चाहिए | बल्कि महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेनी व देनी चाहिए | हमें अपने अच्छे कर्मों को यादकर स्वयं उत्साहित हो पुनः ऊर्जा प्राप्त कर हर असंभव को संभव बनाने का प्रयास करना चाहिए , क्योंकि कोशिश करने वाले कभी हारते नहीं हैं |
अनुच्छेद को ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिये-

प्रश्न १-व्यक्ति के मन में नकारात्मक विचार कब आते हैं ?
प्रश्न २-नकारात्मक विचार आने पर व्यक्ति को कौन सा मार्ग दिखाई देता है ?
प्रश्न ३-निराशा को व्यक्ति कैसे दूर कर सकता है ?
प्रश्न ४-निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द बताएँ -
क-निराशा                                                   ख -असफलता
ग-असंभव                                                   घ-जीवन
प्रश्न ५- गद्यांश का उचित शीर्षक बताएँ
प्रश्न ६-गद्यांश में किस पौराणिक घटना का वर्णन किया गया है ?
प्रश्न ७- कोई चार संयुक्ताक्षर शब्द लिखिए -
प्रश्न ८-गद्यांश में आए पौराणिक चरित्रों के नाम लिखिए |

उत्तर पत्र
उत्तर १-जब उसे लगने लगता है कि सारी चीजें विरोध में हैं | वह किसी के लिए कितना भी अच्छा सोचे सामने वाले को गलत ही लगेगा |वह कितनी भी मेहनत कर ले उसे असफलता ही मिलेगी | ऐसे समय में उसके मस्तिष्क में नकारात्मक विचार ही घुमड़ते रहते हैं |
उत्तर २-नकारात्मक विचार आने पर व्यक्ति को आत्महत्या का सरल मार्ग ही दिखाई देता है |
उत्तर ३-स्वयं पर विश्वास कर ,अपना आत्मविश्वास बढाकर ,महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेकर कोई भी व्यक्ति निराशा को दूर कर सकता है |
उत्तर ४- क-आशा ख-सफलता ग-संभव घ-मरण
उत्तर ५- आत्मविश्वास
प्रशन ६-रामायण की घटना का वर्णन किया गया है |
प्रश्न ७-१-मस्तिष्क  २-नकारात्मक   ३-आत्महत्या  ४- शब्दकोष
प्रश्न ८- सीताजी , हनुमानजी ,जामवंत |

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