अपठित १६
मनुष्य के जीवन में लक्ष्य का होना बहुत आवश्यक है | लक्ष्य के बिना जीवन दिशाहीन
तथा व्यर्थ ही है | एक बार एक दिशाहीन युवा आगे बढ़े जा रहा था ,राह में महात्मा जी की कुटिया देख रूककर महात्मा जी
से पूछने लगा कि यह रास्ता कहाँ जाता है | महात्मा जी ने पूछा “ तुम कहाँ जाना
चाहते हो “| युवक ने कहा “ मैं नहीं जानता मुझे कहाँ जाना है “| महात्मा जी ने कहा
“जब तुम्हें पता ही नहीं है कि तुम्हें कहाँ जाना है , तो यह रास्ता कहीं भी जाए ,इससे
तुम्हें क्या फर्क पड़ेगा “| कहने का मतलब है कि बिना लक्ष्य के जीवन में इधर-उधर
भटकते रहिये कुछ भी प्राप्त नहीं कर पाओगे | यदि कुछ करना चाहते तो पहले अपना एक
लक्ष्य बनाओ और उस पर कार्य करो| अपनी राह स्वयं बनाओ | वास्तव में जीवन उसी का
सार्थक है जिसमें परिस्थितियों को बदलने का साहस है | गांधीजी कहते थे कुछ न करने
से अच्छा है ,कुछ करना | जो कुछ करता है वही सफल-असफल होता है | हमारा लक्ष्य कुछ
भी हो सकता है , क्योंकि हर इंसान की अपनी-अपनी क्षमता होती है और उसी के अनुसार
वह लक्ष्य निर्धारित करता है | जैसे विद्यार्थी का लक्ष्य है सर्वाधिक अंक प्राप्त
करना तो नौकरी करने वालों का लक्ष्य होगा पदोन्नति प्राप्त करना | इसी तरह किसी
महिला का लक्ष्य आत्मनिर्भर होना हो सकता है | ऐसा मानना है कि हर मनुष्य को बड़ा
लक्ष्य बनाना चाहिए किन्तु बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए छोटे-छोटे लक्ष्य बनाने
चाहिए | जब हम छोटे लक्ष्य प्राप्त कर लेते हैं तो बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने का
हममें आत्मविश्वास आ जाता है | स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि जीवन में एक ही
लक्ष्य बनाओ और दिन-रात उसी के बारे में सोचो | स्वप्न में भी तुम्हें वही लक्ष्य
दिखाई देना चाहिए , उसे पूरा करने की एक धुन सवार हो जानी चाहिए | बस सफलता आपको
मिली ही समझो | सच तो यह है कि जब आप कोई काम करते हैं तो यह जरुरी नहीं कि सफलता
मिले ही लेकिन असफलता से भी घबराना नहीं चाहिए | इस बारे में स्वामी विवेकानंद जी
कहते हैं कि हजार बार प्रयास करने के बाद भी यदि आप हार कर गिर पड़ें तो एक बार
पुनः उठें और प्रयास करें | हमें लक्ष्य प्राप्ति तक स्वयं पर विश्वास रखना चाहिए |
अपठित
को ध्यानपूर्वक पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
प्रश्न
१ युवक कहाँ जा रहा था ? राह में उसे कौन मिला ?
प्रश्न
२- युवक तथा महात्मा जी के संवाद को अपने शब्दों में लिखें |
प्रश्न
३- विद्यार्थी एवं किसी महिला का क्या लक्ष्य हो सकता है ?
प्रश्न
४-मनुष्य का लक्ष्य कैसा होना चाहिय तथा उसके लिए उसके क्या प्रयास होने चाहिए ?
प्रश्न
५ -लक्ष्य प्राप्ति के बारे में विवेकानंद जी के क्या विचार हैं ?
उत्तर
पत्र
उत्तर
१- एक युवक दिशाहीन चला जा रहा था | रास्ते में उसे कुटिया में महात्मा जी मिले |
उत्तर २-
युवक ने महात्मा जी से पूछा कि यह रास्ता कहाँ जाता है | महात्मा जी ने युवक से
प्रश्न किया कि तुम्हें कहाँ जाना है | युवक ने कहा कि उसे नहीं पता कि उसे कहाँ
जाना है |
उत्तर
३-विद्यार्थी का लक्ष्य सर्वाधिक अंक प्राप्त करना तथा किसी महिला का लक्ष्य
आत्मनिर्भर बनना हो सकता है |
उत्तर ४
– मनुष्य का लक्ष्य हमेशा बड़ा होना चाहिए और बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए
छोटे-छोटे लक्ष्य बनाकर उसकी प्राप्ति के लिए प्रयास करा चाहिए | जब हम छोटे लक्ष्य
प्राप्त कर लेते हैं तो हममें आत्मविश्वास आ जाता है |
उत्तर ५-लक्ष्य
प्राप्ति के बारे में स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था कि हजार बार प्रयास करने के
बाद भी यदि आप हार कर गिर पड़ें तो एक बार पुनः उठें और प्रयास करें | हमें लक्ष्य
प्राप्ति तक स्वयं पर विश्वास रखना चाहिए |
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