अपठित ३०
शिक्षा
मनुष्य को मनुष्य बनाती है | शिक्षा के बिना मनुष्य पशु के समान होता है | शिक्षित
मनुष्य ही राष्ट्र की प्रगति में सक्रिय योगदान कर सकते हैं | वैसे तो मनुष्य की
प्रथम पाठशाला उसका परिवार होता है और उसकी प्रथम गुरु उसकी माँ होती है जो नवजात
शिशु में संस्कारों को सिंचित करती रही है | जब तक बच्चा विद्यालय जाने के योग्य
नहीं हो जाता परिवार में माँ के अतिरिक्त अन्य सदस्य भी उसके गुरु की भांति उसे शिक्षित
करते रहते हैं | परिवार के बाद शिक्षा प्राप्त करने का सबसे अच्छा स्थान विद्यालय
होता है | यहाँ आकर उसका सर्वांगीण विकास होता है | विद्यालय में पुस्तकीय ज्ञान के
अलावा उसे नृत्य-संगीत एवं खेल-कूद आदि का भी प्रशिक्षण दिया जाता है | छात्रों
द्वारा अपनी-अपनी रूचि के अनुसार खेलों का चयन किया जाता है | चुनी हुई गतिविधियों
में दक्षता प्राप्त कने के लिए वे दिन-रात अथक परिश्रम करते हैं | विद्यालय के
प्रशिक्षक भी उनमें जान डालने का कार्य करते हैं तभी ऐसे विद्यार्थी देश का नाम
विश्व में स्वर्णाक्षरो में लिखवा देते हैं |
प्रश्न १- शिक्षा के बिना मनुष्य किसके समान होता
है ?
प्रश्न २- मनुष्य की प्रथम गुरु कौन होती है ?
प्रश्न ३- परिवार के बाद मनुष्य कहाँ शिक्षा
प्राप्त करता है ?
प्रश्न ४- विद्यालय में पुस्तकीय ज्ञान के
अतिरिक्त और क्या-क्या सिखाया जाता है ?
प्रश्न ५- कैसे मनुष्य राष्ट्र की प्रगति में
सक्रिय योगदान कर सकते हैं ?
प्रश्न ६- ऐसे किन्हीं दो खिलाडियों के नाम लिखिए
जिन्होंने विश्व-स्तर पर नाम कमाया हो |
प्रश्न ७- गद्यांश में आए दो संयुक्ताक्षर लिखिए
|
प्रश्न ८- निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए
क – बच्चा ख
– देश
प्रश्न ९- निम्नलिखित शब्द का अर्थ समझाइये –
‘अथक परिश्रम’
प्रश्न १०- प्रस्तुत गद्यांश को क्या नाम देना
चाहेंगे ?
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