अपठित ३१
कहा जाता है कि यूनान के प्रसिद्ध दार्शनिक सुकरात का मुख सौंदर्य विहीन
था | किन्तु उनके विचारों में अत्यंत प्रबल सुन्दरता थी अतः लोग उन्हें बहुत पसंद
करते थे | एक बार वे अपने शिष्यों के साथ बैठे हुए थे, तभी एक ज्योतिषी वहाँ आया
वह सुकरात को जानता नहीं था | उसने सुकरात का चेहरा देखकर बताया कि तुम्हारे
नथुनों की बनावट बता रही है कि तुममें क्रोध की भावना अत्यंत प्रबल है | यह सुनकर
सुकरात के शिष्य नाराज होने ,किन्तु सुकरात ने उन्हें रोक लिया | ज्योतिषी ने आगे
बताया कि तुम्हारे सिर की आकृति तुम्हारे लालची होने का प्रमाण दे रही है, ठुठडी
की बनावट से तुम सनकी और होठों से तुम देशद्रोह के लिए तत्पर प्रतीत होते हो | यह
सुनकर सुकरात ने ज्योतिषी को पुरस्कार दिया | सुकरात के शिष्यों ने इसका कारण पूछा
तो सुकरात ने स्पष्ट किया कि ये सारे दुर्गुण मुझमें हैं किन्तु ज्योतिषी मुझमें
स्थित विवेक की शक्ति को न देख सका जिसके कारण मैं इन सभी दुर्गुणों को नियंत्रण
में रखता हूँ |
हर इंसान को अपने भीतर स्थित विवेक को जागृत कर सदैव दुर्गुणों को काबू
में रखना चाहिए |
उपरोक्त गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए
–
प्रश्न १- सुकरात किस देश के निवासी थे ?
प्रश्न २ – सुकरात देखने में कैसे थे ?
प्रश्न ३ – ज्योतिषी ने उनके नथुनों को देखकर क्या कहा ?
प्रश्न ४ – ज्योतिषी ने सिर की आकृति देखकर सुकरात के बारे में क्या आंकलन किया ?
प्रश्न ५ – सुकरात के विचारों के बारे में बताइए |
प्रश्न ७ – सुकरात ने अपने शिष्यों को अपने दुर्गुणों के बारे में क्या
कहा ?
प्रश्न ८ – निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए -
१ 
इंसान - २
– शक्ति -


प्रश्न ९ – निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए –
१- 
नाराज - २
– दुर्गुण -


प्रश्न १० – गद्यांश से दो
संज्ञा शब्द छांटकर लिखिए –


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