अपठित 44
‘ढ़ाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय’ कबीरदास ने यूँ ही नहीं लिखा | प्रेम के ढाई अक्षरों में वो शक्ति है कि अनहोनी
को होनी में तथा असंभव को संभव में बदल देते हैं | प्रेम की भाषा सदैव सकारात्मक होती है| जिसे हम अपना कहते हैं या अपना मानते
हैं, उनके प्रति हमारा व्यवहार यदि प्रेम भरा होता है तो हमेशा सकारात्मक
संदेश ही जाते हैं | ऐसे सकारात्मक विचार ,जो मनुष्य को जीवन में आगे बढ़ने
के लिए प्रेरित करते हैं | अतः हमें प्रेम की भाषा को ही अपनाना चाहिए | प्रेम की
भाषा के सहयोगी शब्द हैं – प्रशंसा , सहयोग और कीमती समय | इनकी उपलब्धि मनुष्य को ऊंचाइयों
तक पहुँचाने की शक्ति रखती है | यदि आपको प्रेममयी भाषा का पंडित बनना है तो अपने शब्द
भंडार से भयंकर ,बेकार ,नहीं हो सकता ,कभी नहीं आदि शब्दों को हमेशा के लिए विदा कर दीजिये | अत्यधिक काम के बोझ तले कामकाजी माता-पिता जब थके-हारे
घर आते हैं तो अपनी नन्ही सी जान से न तो ठीक से बात करते हैं न ही उसकी दिनचर्या के
बारे में जानने की उत्सुकता उनमें होती है | बस एक ही धुन रहती है कि बच्चे के अंक ठीक आ जाएँ और
वह पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन करे | बच्चे के कोमल मन को पढ़ने का उनके पास समय ही कहाँ ? प्रदर्शन
ठीक न होने पर वे उसे कोसना भी नहीं भूलते | तुमसे कुछ नहीं हो सकता , तुम जीवन
में कुछ नहीं कर पाओगे , तुम तो हो ही नालायक | जब ऐसे तीक्ष्ण शब्द बाणों से कोमल मन आहत होता है तो
वह भी ठान लेता है कि ‘ठीक है जाओ भाड़ में , मुझे भी कुछ नहीं करना’| ऐसा
नकारात्मक व्यवहार अपराधों को ही जन्म देता हैक | इसके विपरीत यदि प्रेम से समझाकर
बात की जाए , मन को टटोला जाए , सारे दिन की बात पूछी जाए तो
परिणाम सुखद ही होगा | बालमन कुंठाग्रस्त नहीं होगा , सुरक्षित
महसूस करेगा | चंचल मन सुदृढ़ बनेगा | सारी चिंताओं से मुक्त होकर
निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर होगा | अतः प्रेम की शब्दावली को मजबूत बनाएँ और सहयोग के लिए
सदैव आगे आएं | आजकल रिश्तों में कटुता इसलिए आती है क्योंकि लोग एक
दूसरे के साथ वस्तुगत व्यवहार करते हैं यूज़ एंड थ्रो वाला | फिर भी यदि
कोई परेशानी में है तो उसका हाथ थामिए | हो सकता है विपत्ति समाप्त होते ही वह तुम कौन ? वाला व्यवहार
करे , हो सकता है ये शब्द भी कानों में गरम तेल उंडेलने का कार्य करें कि
तुम नहीं करते तो कोई और करता | किन्तु विश्वास कीजिए जो सुख देने में है वो अनयंत्र
नहीं | इसलिए अपनी मुट्ठी बंद मत करिए अपना हाथ और मन हमेशा खुला रखिए | शब्दों में
प्रेममयी भाषा हो , सकारात्मक विचार हों तो दुनिया आपकी है |
प्रश्न १ ‘ढ़ाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय’ यह कथन किसका है ?
प्रश्न २ प्रेम के ढाई अक्षरों में कैसी शक्ति है ?
प्रश्न ३ मनुष्य को जीवन में आगे बढ़ने
के लिए प्रेरित कौन करते हैं ?
प्रश्न ४ अपने शब्द भंडार से
कौन से शब्दों को हमेशा के लिए विदा कर देना चाहिए ?
प्रश्न ५ आजकल रिश्तों में कटुता
क्यों आती है ?
प्रश्न ६ निम्न शब्दों के विलोम
शब्द लिखिए -
१ विश्वास २ समाप्त
प्रश्न ७ निम्न शब्दों के पर्यायवाची
शब्द लिखिए -
१ प्रगति २ माता
प्रश्न ८ गदयांश से दो संज्ञा
शब्द चुनकर लिखिए -
प्रश्न ९ गदयांश से दो विशेषण
शब्द चुनकर लिखिए -
प्रश्न १० गदयांश का उचित शीर्षक
बताइए -
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