Friday, 30 June 2017


                             अपठित गद्यांश २४ 

एक बार जब महात्मा बुद्ध कपिलवस्तु पहुँचे तो बहुत से राजकुमार उनके अनुयायी बन गए | उनमें भगवान बुद्ध का ममेरा भाई देवदत्त भी था | बुद्ध के साथ रहते-रहते देवदत्त ने कुछ जादुई शक्तियाँ प्राप्त कर लीं और स्वयं को बुद्ध से श्रेष्ठ घोषित करने लगा | देवदत्त उन्हें हमेशा नीचा दिखाने का कोई न कोई रास्ता ढूंढता रहता था | किन्तु वह हर बार असफल ही हो जाता था | उसने भिक्षुओं को बुद्ध से विमुख करने का प्रयास कई बार किया |  वह कई नए-नए तरीके अपनाकर बुद्ध को नीचा दिखाने  एवं उन्हें रास्ते से हटाने का प्रयास करता था | यहाँ तक कि वह बुद्ध की हत्या का षडयंत्र रचने लगा | एक दिन देवदत्त ने राजा मगध के अस्तबल से एक विशाल हाथी नालगिरी को नशीला द्रव्य पिलाकर बुद्ध के आने वाले रास्ते पर छोड़ दिया | नालगिरी के आने से सड़कों पर खलबली मच गई और लोग जहाँ-तहाँ भाग खड़े हुए | तभी बुद्ध भी वहाँ से गुजरे | ठीक उसी समय एक स्त्री घबराई हुई सी अपने बच्चे को छोड़ भाग खड़ी हुई | उसी क्षण जैसे ही नालगिरी ने बच्चे को कुचलने के लिए अपना पैर उठाया , बुद्ध उसके ठीक सामने खड़े हो गए | उन्होंने बड़े ही प्यार से हाथी को स्पर्श किया और थपथपाया | बुद्ध के स्पर्श से नालगिरी घुटने टेक बुद्ध के सामने बैठ गया |
सच्चे तपस्वियों , महात्माओं में वो तेज एवं ऊर्जा होती है जो दुखी प्राणी को सुख , अशान्त प्राणी को शांति देती है | निर्जीव में प्राण फूंक देती है | अतः सबको अपना अंतःकरण शुद्ध एवं पावन बनाना चाहिए |
प्रश्न १- महात्मा बुद्ध कहाँ पहुँचे ?
प्रश्न २- उनके अनुयायी कौन-कौन थे ?
प्रश्न ३ - देवदत्त कौन था ?
प्रश्न ४- उसके पास कौन सी शक्तियाँ थीं ?
प्रश्न ५-देवदत्त ने किस राज्य के अस्तबल से हाथी को लिया ?
प्रश्न-६ उस हाथी का क्या नाम था ?
प्रश्न ७- उस हाथी को उस्नेक्य पिलाकर कहाँ छोड़ा ?
प्रश्न ८- बुद्ध के स्पर्श से हाथी ने क्या किया ?
प्रश्न ९- गद्यांश से दो संज्ञा शब्द चुनकर लिखिए |
प्रश्न १०-स्वविवेक से हाथी की दो विशेषताएँ बताइए |


Friday, 23 June 2017


अपठित २३ 
जब रात के समय खुले आसमान की ओर हमारी आँखें उठ जाती हैं तो टिमटिमाते तारों  को एकटक निहारने लगती हैं | मन उनमें ही खो जाता है | ऐसा लगता है कि जैसे ये सभी तारे किसी बड़े से गोले पर बिखरे हैं और इनकी दूरी भी एक समान है | इसी आधार पर भारतीय खगोल विज्ञानियों ने इसे नक्षत्र लोक का नाम दे दिया | इसी अनुमान के आधार पर अमीर-खुसरो ने इस पहेली की रचना भी कर डाली – ‘ एक थाल मोती भरा सबके सिर औंधा पड़ा ‘ | इस पहेली को तो हम और आप कई बार हल कर चुके हैं | आज हम जानते हैं कि उनकी यह बात सही नहीं थी क्योंकि न तो कोई गोल है , न ही सभी तारे एक समान दूरी पर हैं | हाँ कुछ तारे हमसे बहुत दूर हैं तो कुछ बहुत पास | हमारी दृष्टि में सूर्य बड़ा एवं अधिक प्रकाशमान तारा है किन्तु ऐसा नहीं है यह तो पृथ्वी के निकट है इसलिए यह हमें अधिक प्रकाशमान प्रतीत होता है | आकाशगंगा में अनेक तारे सूर्य से कई गुना बड़े हैं | इन्हें महादानव कहा जाता है एवं जो तारे पृथ्वी तथा बुध ग्रह से भी छोटे हैं उन्हें श्वेत मानव या बौने तारे कहा जाता है |
प्रश्न १- गद्यांश में आई पहेली की रचना किसने की ?
प्रश्न २- तारों की दुनिया को भारतीय खगोल विज्ञानियों ने क्या नाम दे दिया  ?
प्रश्न ३- सूर्य कैसा तारा है ?
प्रश्न ४- गद्यांश से दो संज्ञा शब्द ढूंढ़कर लिखिए |
प्रश्न ५- जो तारे पृथ्वी तथा बुध ग्रह से भी छोटे हैं उन्हें क्या नाम दिया गया है ?
प्रश्न ६- गद्यांश से दो संयुक्ताक्षर शब्द ढूंढ़कर लिखिए |
प्रश्न ७- गद्यांश से दो विशेषण शब्दसे ढूंढ़कर लिखिए |
प्रश्न ८-  निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए |
क – मानव          ख –एक
प्रश्न ९- आसमान का पर्यायवाची शब्द गद्यांश से ढूंढ़कर लिखिए
प्रश्न १०- आप गद्यांश का नाम रखना चाहेंगे ?



Wednesday, 21 June 2017

                                        अपठित २२  


मेरा नाम ईशान है | मैं  मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में रहता हूँ | मेरा घर शहर से दूर  खेरापति कालोनी में है | मैं संयुक्त परिवार में रहता हूँ | हमारा घर बड़ा है | घर में कई कमरे हैं | एक बड़ा आँगन एवं एक बड़ा बगीचा भी है | यह बगीचा मुझे और मेरे दादाजी को बेहद प्रिय है | बगीचे में हर मौसम में रंग-बिरंगे फूल खिलते हैं | इन फूलों की महक से हमारा  घर हमेशा महकता रहता है | बगीचे में फूलों की क्यारियों के अलावा रसीले फलों के पेड़ भी हैं | इन वृक्षों पर कई पक्षियों ने अपने घोंसले भी बना रखे हैं | एक दिन दादाजी ने मुझे इन पेड़ों के बारे में बताया कि आम का पेड़ उन्होंने पापा के जन्म पर लगाया था तो चाचा के  जन्म पर जामुन का | बुआ के जन्म पर लीची का पेड़ लगाया था | इस प्रकार हर बच्चे के जन्म पर उन्होंने कोई न कोई पेड़ लगाया और उसका भी नाम रखकर उसकी देखभाल भी अपने बच्चों की तरह ही की | पेड़ों पर बड़ी ही फुर्ती से चढ़ती-उतरती गिलहरी को देखते ही मुझमें भी फुर्ती सी आ जाती है | इन वृक्षों पर खूब फल आते हैं | इन फलों को हम लोग तो खाते ही हैं पर दादी आस-पड़ोस में भी सबको  बाँट देती हैं | हाँ एक बात और कि दादी , हमारे घर काम करने वाली बबीता आंटी को भी फल देना नहीं भूलती | बगीचे में हरी मुलायम घास पर आराम करना बहुत आनंददायक होता है | पेड़ों पर बैठे पक्षियों की आवाज से वातावरण मनमोहक हो जाता है | दादाजी ने बगीचे के एक कोने में झूला भी लगा रखा है जिस पर हम बच्चों को झूलने में बड़ा मजा आता है | सावन के महीने में मेरी माँ , चाची एवं दादी की सहेलियाँ आती हैं और झूला झूलते हुए सावन के गीत गाती हैं | इस प्रकार हमारा यह बगीचा हमें हमारी संस्कृति से भी जोड़े रखता है | मुझे मेरा बागीचा बेहद प्रिय है |
गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये –
प्रश्न १-ग्वालियर शहर  भारत के किस प्रदेश में है ?
प्रश्न २- अपने बगीचे के बारे में चर्चा कौन कर रहा है ?
प्रश्न ३ – बगीचे में लगे आम, जामुन और लीची के पेड़ों की क्या ख़ास बात है ?
प्रश्न ४ – दादी फलों को किस-किस को बाँटती हैं ?
प्रश्न ५- झूला झूलने किस-किस की सहेलियां आती हैं ?
प्रश्न ६- बगीचे की घास की क्या विशेषता है ?
प्रश्न ७- गद्यांश से दो क्रिया  शब्द चुनकर लिखिए –
प्रश्न ८ - गद्यांश से दो विशेषण शब्द चुनकर लिखिए –
प्रश्न ९ –गद्यांश का उचित शीर्षक बताएँ |
प्रश्न १० – गिलहरी कैसी होती है ?
उत्तर पत्र –
१-      मध्य प्रदेश में |
२-      ईशान  
३-      इन पेड़ों की ये विशेषताएं हैं कि आम का पेड़ पापा के जन्म पर तो चाचा के  जन्म पर जामुन का और  बुआ के जन्म पर लीची का पेड़ लगाया  गया था |
 ४- दादी आस-पड़ोस में भी सबको  बाँट देती हैं  और हमारे घर काम करने वाली बबीता आंटी को भी फल देना नहीं भूलती |
 ५ –  माँ , दादी और चाची की |
६ -  घास हरी और मुलायम है |
७- बाँटती , भूलती
८ – रसीले , रंग-बिरंगे
९- मेरा सुंदर बगीचा
१०- बड़ी ही फुर्तीली








अपठित २१
मैं कक्षा तीन में पढ़ता हूँ | मेरे विद्यालय का नाम सरस्वती विद्यामंदिर हैं | यह शहर का सबसे प्रसिद्ध विद्यालय है | यह बहुत बड़ा है | मेरे विद्यालय में लगभग पाँच हजार विद्यार्थी पढ़ते हैं | विद्यालय के सभी अध्यापक अध्यापिकाएँ बहुत ही अच्छे हैं | वे सभी विद्यार्थियों का बहुत ध्यान रखते हैं | उनकी हर समस्या को ध्यान से सुनकर उसका समाधान भी करते हैं | ऐसे शिक्षक – शिक्षिकाओं के कारण ही विद्यालय का परीक्षा परिणाम हर वर्ष बढ़िया आता है | हर बच्चे के माता –पिता विद्यालय के सभी गुरुजनों से अत्यंत प्रभावित एवं प्रसन्न रहते हैं | इसी कारण हर माता – पिता अपने बच्चों को इसी विद्यालय में पढ़वाना चाहते हैं | विद्यालय की और भी अन्य खूबियाँ हैं | मेरे विद्यालय में चार पुस्तकालय हैं  जिसमें  कक्षाओं के आधार पर पुस्तकें मिलती हैं | यहाँ खेल का मैदान बहुत बड़ा है ,यहाँ का तरणताल एकदम साफ़-सुथरा रहता है | अन्य सभी खेलों को सिखाने की भी अच्छी व्यवस्था है | घुड़सवारी करने और सीखने का यहाँ अलग ही मजा आता है | इन्हीं सब खूबियों के कारण ही मेरा विद्यालय देश के प्रसिद्ध विद्यालयों में नम्बर एक पर है | मुझे मेरा विद्यालय अत्यंत प्रिय है |
अनुच्छेद पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए –

प्रश्न १- गद्यांश में किस विद्यालय की चर्चा की गई है ?
प्रश्न २- विद्यालय के बारे में जानकारी देने वाला स्त्रीलिंग है या पुल्लिंग , बताएँ ?
प्रश्न ३- विद्यालय में कितने पुस्तकालय हैं ?
प्रश्न ४-विद्यालय की किन्हीं दो विशेषताओं को लिखिए –
प्रश्न ५- पर्यायवाची शब्द लिखिए –
क-    अध्यापक , ख- शिक्षिका
प्रश्न ६- बहु वचन बताएँ –
क-    कक्षा , ख- पुस्तक  
प्रश्न ७-  दो संयुक्ताक्षर शब्द लिखिए
प्रश्न ८ – दो संज्ञा शब्द लिखिए
प्रश्न ९- दो सर्वनाम शब्द लिखिए –
प्रश्न १० – गद्यांश को आप क्या नाम देना चाहेंगे ?
उत्तर पत्र
उत्तर १ – सरस्वती विद्यामंदिर |
उत्तर २- पुल्लिंग
उत्तर ३ – चार
उत्तर ४ – १- बड़ा है , २- यहाँ लगभग सभी खेलों की व्यवस्था है |
उत्तर ५ – अध्यापिका , शिक्षक
उत्तर ६ -  कक्षाएँ , पुस्तकें
उत्तर ७ – अत्यंत , सरस्वती
उत्तर ८ – १ - सरस्वती      २ – विद्यामंदिर
उत्तर  ९ – मुझे , मेरा

उत्तर १० – मेरा विद्यालय 

Wednesday, 7 June 2017

                                अपठित २० 

आज की भागती दौड़ती जिन्दगी से मुस्कराहट तो न जाने कहाँ खो गई है | कुछ दशक पहले तक तो लोग एक-दूसरे को देखते ही एक सुंदर सी मुस्कराहट के साथ अभिवादन करते थे, किन्तु आज दशा यह है कि किसी पहचान वाले को देखते ही व्यस्तता को मुखौटा लगाकर अभिवादन की प्रक्रिया से स्वयं को बचाकर सुरक्षित निकलना ही बहादुरी का कार्य समझते हैं | जबकि मुस्कराहट एक ऐसी औषधि है जो मनुष्य को बिना किसी दाम के मिली है ,  यह उसके शारीरिक एवं मानसिक रोगों का उपचार करने में पूर्णतः सक्षम है | जो व्यक्ति मुस्कराकर दिन की शुरुआत करता है वह निश्चय ही सारे दिन ऊर्जावान रहता है , वह बिना किसी तनाव के सारे कार्य कुशलता से पूर्ण कर पुनः अगले दिन के लिए नए कार्यों को पूरा करने की कुशल रणनीति बना , निश्चिन्त हो सो जाता है | पुनः नई ऊर्जा ,नए विशवास के साथ दिन का शुभारम्भ करता है और सफलता प्राप्त करता है | ऐसे व्यक्ति का सानिध्य सभी लोग चाहते हैं , उसकी एक छोटी सी मुस्कराहट के कारण ज्यादा से ज्यादा लोग उसके समीप आने का प्रयास करते हैं | ठीक इसके विपरीत अनायास ही खीजने वाले व्यक्ति से हर कोई दूरी बनाना पसंद करता है , हर कोई उससे बचना चाहता है | पुरानी कहावत है कि प्रसन्न वदन के दर्शन मात्र से ही समस्त कार्य पूर्ण हो जाते हैं , अतः हमारा प्रयास होना चाहिए कि स्वयं प्रसन्न रहकर दूसरों को भी खुशियाँ बांटे | सचमुच मुस्कराहट अनमोल होती है एक छोटी सी मुस्कराहट से बड़े-बड़े कार्य सहजता से सम्पन्न हो जाते हैं | कहते हैं न कि हींग लगे न फिटकरी रंग भी चोखा होए | तो अब तो आप समझ ही गए होंगे कि एक छोटी सी मुस्कराहट कितने काम की है | तो चलिए आज से बल्कि अभी से मुस्कराने की आदत डालिए खुद स्वस्थ रहकर लोगों में खुशियाँ बाँटिए |  

उपरोक्त गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए –
प्रश्न-१ प्रस्तुत गद्यांश जीवन की किस अनमोल औषधि के बारे में बताता है ? स्पष्ट करें |
प्रश्न – २ गद्यांश में किस कहावत की चर्चा की गई है , उस कहावत को लिखें |
प्रश्न ३ –अधिक ऊर्जावान रहने के लिए किस उपाय को बताया है , गद्यांश से ढूँढकर लिखिए-
प्रश्न ४- अभिवादन करते समय हमें अपने मुख पर कैसे भाव रखने चाहिए ?
प्रश्न ५ – गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए-



उत्तर-पत्र
उत्तर १- गद्यांश में मुस्कराहट के बारे में बताया है कि मुस्कराहट एक ऐसी औषधि है जो मनुष्य को बिना किसी दाम के मिली है ,  यह उसके शारीरिक एवं मानसिक रोगों का उपचार करने में पूर्णतः सक्षम है |
उत्तर २- गद्यांश में हींग लगे न फिटकरी रंग भी चोखा होए कहावत की चर्चा की गई है , जिससे हमें मुस्कराहट की कीमत का पता लगता है कि मुस्कराहट अनमोल होती है और यह मनुष्य के अंतःकरण से निकलकर लोगों पर अपना स्थायी प्रभाव छोडती है तथा बिना किसी दाम के अपने आस-पास के वातावरण को मनभावन बना देती है |
उत्तर ३- ऊर्जावान रहने के लिए हमें दिन का आरम्भ मुस्कराहट के साथ करना चाहिए |
उत्तर ४ – अभिवादन करते समय हमें अपने मुख पर प्रसन्नता के भाव रखने चाहिए |
प्रश्न ५ – गद्यांश का उचित शीर्षक है “ मुस्कराहट “