अपठित २३
जब रात के समय खुले आसमान
की ओर हमारी आँखें उठ जाती हैं तो टिमटिमाते तारों को एकटक निहारने लगती हैं | मन उनमें ही खो
जाता है | ऐसा लगता है कि जैसे ये सभी तारे किसी बड़े से गोले पर बिखरे हैं और इनकी
दूरी भी एक समान है | इसी आधार पर भारतीय खगोल विज्ञानियों ने इसे नक्षत्र लोक का
नाम दे दिया | इसी अनुमान के आधार पर अमीर-खुसरो ने इस पहेली की रचना भी कर डाली –
‘ एक थाल मोती भरा सबके सिर औंधा पड़ा ‘ | इस पहेली को तो हम और आप कई बार हल कर
चुके हैं | आज हम जानते हैं कि उनकी यह बात सही नहीं थी क्योंकि न तो कोई गोल है ,
न ही सभी तारे एक समान दूरी पर हैं | हाँ कुछ तारे हमसे बहुत दूर हैं तो कुछ बहुत
पास | हमारी दृष्टि में सूर्य बड़ा एवं अधिक प्रकाशमान तारा है किन्तु ऐसा नहीं है
यह तो पृथ्वी के निकट है इसलिए यह हमें अधिक प्रकाशमान प्रतीत होता है | आकाशगंगा
में अनेक तारे सूर्य से कई गुना बड़े हैं | इन्हें महादानव कहा जाता है एवं जो तारे
पृथ्वी तथा बुध ग्रह से भी छोटे हैं उन्हें श्वेत मानव या बौने तारे कहा जाता है |
प्रश्न १- गद्यांश में आई पहेली की रचना किसने की ?
प्रश्न १- गद्यांश में आई पहेली की रचना किसने की ?
प्रश्न २- तारों की दुनिया
को भारतीय खगोल विज्ञानियों ने क्या नाम दे दिया ?
प्रश्न ३- सूर्य कैसा तारा
है ?
प्रश्न ४- गद्यांश से दो
संज्ञा शब्द ढूंढ़कर लिखिए |
प्रश्न ५- जो तारे पृथ्वी
तथा बुध ग्रह से भी छोटे हैं उन्हें क्या नाम दिया गया है ?
प्रश्न ६- गद्यांश से दो
संयुक्ताक्षर शब्द ढूंढ़कर लिखिए |
प्रश्न ७- गद्यांश से दो विशेषण
शब्दसे ढूंढ़कर लिखिए |
प्रश्न ८- निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए |
क – मानव ख
–एक
प्रश्न ९- आसमान का
पर्यायवाची शब्द गद्यांश से ढूंढ़कर लिखिए
प्रश्न १०- आप गद्यांश का
नाम रखना चाहेंगे ?
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