Friday, 23 June 2017


अपठित २३ 
जब रात के समय खुले आसमान की ओर हमारी आँखें उठ जाती हैं तो टिमटिमाते तारों  को एकटक निहारने लगती हैं | मन उनमें ही खो जाता है | ऐसा लगता है कि जैसे ये सभी तारे किसी बड़े से गोले पर बिखरे हैं और इनकी दूरी भी एक समान है | इसी आधार पर भारतीय खगोल विज्ञानियों ने इसे नक्षत्र लोक का नाम दे दिया | इसी अनुमान के आधार पर अमीर-खुसरो ने इस पहेली की रचना भी कर डाली – ‘ एक थाल मोती भरा सबके सिर औंधा पड़ा ‘ | इस पहेली को तो हम और आप कई बार हल कर चुके हैं | आज हम जानते हैं कि उनकी यह बात सही नहीं थी क्योंकि न तो कोई गोल है , न ही सभी तारे एक समान दूरी पर हैं | हाँ कुछ तारे हमसे बहुत दूर हैं तो कुछ बहुत पास | हमारी दृष्टि में सूर्य बड़ा एवं अधिक प्रकाशमान तारा है किन्तु ऐसा नहीं है यह तो पृथ्वी के निकट है इसलिए यह हमें अधिक प्रकाशमान प्रतीत होता है | आकाशगंगा में अनेक तारे सूर्य से कई गुना बड़े हैं | इन्हें महादानव कहा जाता है एवं जो तारे पृथ्वी तथा बुध ग्रह से भी छोटे हैं उन्हें श्वेत मानव या बौने तारे कहा जाता है |
प्रश्न १- गद्यांश में आई पहेली की रचना किसने की ?
प्रश्न २- तारों की दुनिया को भारतीय खगोल विज्ञानियों ने क्या नाम दे दिया  ?
प्रश्न ३- सूर्य कैसा तारा है ?
प्रश्न ४- गद्यांश से दो संज्ञा शब्द ढूंढ़कर लिखिए |
प्रश्न ५- जो तारे पृथ्वी तथा बुध ग्रह से भी छोटे हैं उन्हें क्या नाम दिया गया है ?
प्रश्न ६- गद्यांश से दो संयुक्ताक्षर शब्द ढूंढ़कर लिखिए |
प्रश्न ७- गद्यांश से दो विशेषण शब्दसे ढूंढ़कर लिखिए |
प्रश्न ८-  निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए |
क – मानव          ख –एक
प्रश्न ९- आसमान का पर्यायवाची शब्द गद्यांश से ढूंढ़कर लिखिए
प्रश्न १०- आप गद्यांश का नाम रखना चाहेंगे ?



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