अपठित ३७
बात बहुत पुरानी है | एक राजा जंगल में आखेट ( शिकार ) के लिए गया |
संध्या हो जाने के कारण वह रास्ता भटक गया | वह भूख-प्यास से व्याकुल था | दूर-दूर
तक उसे कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा था | वह विवशतावश निराश हो चला जा रहा था, कि
अचानक उसे आशा की एक किरण दिखाई दी | एक झोंपड़ी से दीये का मंद-मंद प्रकाश झाँककर
मानो राजा को आमंत्रित कर रहा था | राजा तेज़ी से झोंपड़ी की ओर बढ़ा | राजा ने
झोंपड़ी का द्वार खटखटाया, तो एक वनवासी युवक ने द्वार खोला | राजा कुछ आग्रह करता
उससे पहले ही वनवासी ने राजा की मनःस्थिति पढ़ ली और उसने राजा का आतिथ्य किया |
शीतल जल से राजा की प्यास बुझी एवं साधारण किन्तु प्रेम से पकाए गए भोजन से राजा
की क्षुधा शांत हुई | नवजीवन पाकर राजा अत्यंत प्रसन्न था | उसने युवक अपना को
परिचय दिया एवं चन्दन वन उसे पुरस्कार स्वरूप दे दिया | वनवासी युवक चन्दन के
महत्त्व से अनजान था | उसे ज्ञात न था कि चन्दन बहुत ही कीमती पेड़ होता है | उचित
जानकारी के अभाव में वह प्रतिदिन पेड़ काटता, जलाता एवं उसका कोयला बनाकर शहर में
बेच आता | इस प्रकार धीरे-धीरे सारे पेड़ समाप्त हो गए | केवल एक ही पेड़ शेष रहा |
वर्षा होने के कारण आज वह पेड़ को जला नहीं पा रहा था अतः उसने पेड़ की कुछ बड़ी
टहनियाँ काटीं और गठ्ठर बना कर शहर जा पहुँचा | व्यापारियों ने गठ्ठर देखा और उसकी
बहुत अधिक कीमत लगाई | अधिक कीमत सुनकर युवक को बड़ा आश्चर्य हुआ | युवक ने उनसे
अधिक कीमत के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि “यह चन्दन की लकड़ी है , यह अत्यंत
मूल्यवान है | यदि तुम्हारे पास और हो तो बताओ हम तुम्हें उसका प्रचुर मात्रा में
दाम देंगे” | यह सुनकर युवक ठगा सा रह गया | उसे अपनी मूर्खता पर अत्यंत दुःख हुआ
| वह अपना सिर पकड़ कर बैठ गया और विचार करने लगा कि जानकारी के अभाव में उसने
बहुमूल्य काष्ठ्सम्पदा को नष्ट कर दिया | एक वृद्ध सज्जन यह सब देख-सुन रहे थे |
उन्होंने युवक को सांत्वना देते हुए समझाया कि ज्ञान के अभाव में ही ऐसा हुआ है |
तुम्हारे पास जो एक वृक्ष बचा है उससे ही तुम आगे की योजना बनाकर लाभ उठा सकते हो
|
इस समस्त घटना की जानकारी जब राजा को मिली तो राजा को अपने किए पर
पश्चाताप हुआ और उसे समझ आया कि पारितोषक देते समय व्यक्ति की योग्यता पर विचार
अवश्य कर लेना चाहिए | अयोग्य के हाथ में दिया गया धन बंदर के हाथों मोती की भांति
ही नष्ट हो जाता है |
प्रश्न १ राजा किस कार्य से जंगल में गया था ?
प्रश्न २ झोंपड़ी से राजा को कौन आमंत्रित कर रहा था ?
प्रश्न ३ झोंपड़ी में कौन रहता था, उसने राजा के साथ कैसा व्यवहार किया?
प्रश्न ४ भोजन कैसा था?
प्रश्न ५ राजा ने युवक को पुरस्कार में क्या दिया, युवक ने पुरस्कार का
क्या किया ?
प्रश्न ६ युवक को पेड़ से टहनियाँ क्यों काटनी पड़ी एवं उसका क्या परिणाम
हुआ ?
प्रश्न ७ व्यापारियों की बातें सुनकर उसने क्या विचार किया
प्रश्न ८ गद्यांश में आए ‘ता’ प्रत्यय वाले दो शब्द लिखिए तथा निम्नलिखित शब्दों के अर्थ लिखिए –
१ बहुमूल्य २ पश्चाताप
प्रश्न ९ निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए –
१ पेड़ २ पुरस्कार ३ जंगल ४
संध्या
प्रश्न १० स्वविवेक से बताइए कि एकमात्र शेष रहे पेड़ का सदुपयोग युवक ने
किस प्रकार किया होगा ?