Monday, 17 September 2018

                                                                  अपठित ३७
बात बहुत पुरानी है | एक राजा जंगल में आखेट ( शिकार ) के लिए गया | संध्या हो जाने के कारण वह रास्ता भटक गया | वह भूख-प्यास से व्याकुल था | दूर-दूर तक उसे कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा था | वह विवशतावश निराश हो चला जा रहा था, कि अचानक उसे आशा की एक किरण दिखाई दी | एक झोंपड़ी से दीये का मंद-मंद प्रकाश झाँककर मानो राजा को आमंत्रित कर रहा था | राजा तेज़ी से झोंपड़ी की ओर बढ़ा | राजा ने झोंपड़ी का द्वार खटखटाया, तो एक वनवासी युवक ने द्वार खोला | राजा कुछ आग्रह करता उससे पहले ही वनवासी ने राजा की मनःस्थिति पढ़ ली और उसने राजा का आतिथ्य किया | शीतल जल से राजा की प्यास बुझी एवं साधारण किन्तु प्रेम से पकाए गए भोजन से राजा की क्षुधा शांत हुई | नवजीवन पाकर राजा अत्यंत प्रसन्न था | उसने युवक अपना को परिचय दिया एवं चन्दन वन उसे पुरस्कार स्वरूप दे दिया | वनवासी युवक चन्दन के महत्त्व से अनजान था | उसे ज्ञात न था कि चन्दन बहुत ही कीमती पेड़ होता है | उचित जानकारी के अभाव में वह प्रतिदिन पेड़ काटता, जलाता एवं उसका कोयला बनाकर शहर में बेच आता | इस प्रकार धीरे-धीरे सारे पेड़ समाप्त हो गए | केवल एक ही पेड़ शेष रहा | वर्षा होने के कारण आज वह पेड़ को जला नहीं पा रहा था अतः उसने पेड़ की कुछ बड़ी टहनियाँ काटीं और गठ्ठर बना कर शहर जा पहुँचा | व्यापारियों ने गठ्ठर देखा और उसकी बहुत अधिक कीमत लगाई | अधिक कीमत सुनकर युवक को बड़ा आश्चर्य हुआ | युवक ने उनसे अधिक कीमत के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि “यह चन्दन की लकड़ी है , यह अत्यंत मूल्यवान है | यदि तुम्हारे पास और हो तो बताओ हम तुम्हें उसका प्रचुर मात्रा में दाम देंगे” | यह सुनकर युवक ठगा सा रह गया | उसे अपनी मूर्खता पर अत्यंत दुःख हुआ | वह अपना सिर पकड़ कर बैठ गया और विचार करने लगा कि जानकारी के अभाव में उसने बहुमूल्य काष्ठ्सम्पदा को नष्ट कर दिया | एक वृद्ध सज्जन यह सब देख-सुन रहे थे | उन्होंने युवक को सांत्वना देते हुए समझाया कि ज्ञान के अभाव में ही ऐसा हुआ है | तुम्हारे पास जो एक वृक्ष बचा है उससे ही तुम आगे की योजना बनाकर लाभ उठा सकते हो |
इस समस्त घटना की जानकारी जब राजा को मिली तो राजा को अपने किए पर पश्चाताप हुआ और उसे समझ आया कि पारितोषक देते समय व्यक्ति की योग्यता पर विचार अवश्य कर लेना चाहिए | अयोग्य के हाथ में दिया गया धन बंदर के हाथों मोती की भांति ही नष्ट हो जाता है |
प्रश्न १ राजा किस कार्य से जंगल में गया था ?
प्रश्न २ झोंपड़ी से राजा को कौन आमंत्रित कर रहा था ?
प्रश्न ३ झोंपड़ी में कौन रहता था, उसने राजा के साथ कैसा व्यवहार किया?
प्रश्न ४ भोजन कैसा था?
प्रश्न ५ राजा ने युवक को पुरस्कार में क्या दिया, युवक ने पुरस्कार का क्या किया ?
प्रश्न ६ युवक को पेड़ से टहनियाँ क्यों काटनी पड़ी एवं उसका क्या परिणाम हुआ ?
प्रश्न ७ व्यापारियों की बातें सुनकर उसने क्या विचार किया
प्रश्न ८ गद्यांश में आए ‘ता’ प्रत्यय वाले दो शब्द लिखिए  तथा निम्नलिखित शब्दों के अर्थ लिखिए –
१ बहुमूल्य                २ पश्चाताप
प्रश्न ९ निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए –
१ पेड़        २ पुरस्कार          ३ जंगल            ४ संध्या
प्रश्न १० स्वविवेक से बताइए कि एकमात्र शेष रहे पेड़ का सदुपयोग युवक ने किस प्रकार किया होगा ?




Friday, 14 September 2018

                                                                अपठित ३६
‘गजानन’ यानि कि ‘गणेश’ जी का अद्भुत स्वरूप देखकर मन में अनेकानेक प्रश्न उठते हैं, कि कैसा विचित्र रूप है फिर भी सभी देवताओं में सर्वप्रथम पूजे जाते है गणपति | क्यों ? भले ही रूप विचित्र हो, अंगों का आकार-प्रकार भिन्न हो, किन्तु अंग- प्रत्यंग की इस भिन्नता का समायोजन एक विशिष्ट उददेश्य एवं कला को दर्शाता है और वो कला है उत्तम प्रबंधन की | यथा - गणेश जी का चौड़ा मस्तक उनकी बुधिमत्ता तथा विवेकशीलता को दर्शाता है | हमें सन्देश देता है कि हम अपने मस्तिष्क में योजनाओं तथा विचारों को एकत्रित कर समग्रता के साथ विचार कर, मनन-चिंतन कर फिर उस दिशा में कार्य करें | गणेश जी की लम्बी सूँड संवेदन शक्ति का प्रतीक है, जो हर आने वाले संकट को दूर से ही पहचान लेती है | सूँड यानि ग्रहण करने की शक्ति | हमारी सजगता एवं अच्छे-बुरे की परख पर ही हमारी सफलता निर्भर करती है | गणेश जी के छोटे नेत्र सूक्ष्म किन्तु तीक्ष्ण दृष्टि रखने की प्रेरणा देते हैं | हमें अपने लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए प्रेरित करते हैं | विशाल सूप जैसे कान बताते हैं कि हमें कान का कच्चा नहीं होना चाहिए | हमें सबकी बातों को ध्यान पूर्वक सुनकर, जो केवल काम की हों उन्हें ही ग्रहण करना चाहिए शेष तुच्छ बातों को उसी प्रकार छोड़ देना चाहिए जैसे कि सूप केवल सार को ही रखता है और कचरे को उड़ा देता है | ऐसा करके हम सुखी एवं तनावमुक्त जीवन जी सकते हैं | गणपति जी  का एक दांत संकेत देता है कि जीवन में एक लक्ष्य होना चाहिए | लम्बा तथा मोटा पेट सभी बातों को पचा लेने की ओर इंगित करता है | यदि कोई अपनी बात, कोई रहस्य हमारे साथ साझा करता है तो हमें उसे अपने तक ही सीमित रखना चाहिए | यह मन्त्र हमारे जीवन की सफलता-असफलता को निश्चित करता है | लम्बोदर की चार भुजाएँ कहतीं हैं कि यदि जीवन में सफलता प्राप्त करनी है तो चहुंमुखी प्रयास करने होंगे | गणेश जी ने छोटे से जीव मूषक को अपनी सवारी बनाकर उसका गौरव बढ़ाया है | उनका यह प्रबंधन हमें सीख देता है कि संसार में चाहे कोई छोटा हो या बड़ा सबको सम्मान दो एवं सबके प्रति स्नेहभाव रखो |
इन सभी विशेषताओं के कारण ही गणपति सभी शुभ कार्यों में प्रथम पूजे जाते हैं | उनसे प्रार्थना की जाती है कि हमारे समस्त कार्य बिना किसी रुकावट के संपन्न हों | इस प्रकार यदि हम गणेश जी से प्रबंधन की कला सीखें तो जीवन में हम निश्चित रूप से सफल होंगे |
प्रश्न १ – गद्यांश में आए गणेश जी के दो पर्यायवाची शब्द लिखिए |
उत्तर १ –  १ - ..............      २ - ................
प्रश्न २ – गणेश जी का मस्तक कैसा है और यह किसका प्रतीक है ?
उत्तर २ - ...................................................................................
..................................................................................................
प्रश्न ३ – गणेश जी ने किस प्राणी को अपनी सवारी चुना ? उनका यह चुनाव हमें क्या बताता है ?
उत्तर ३ - .....................................................................................
.....................................................................................................
प्रश्न ४ – सूप की क्या विशेषता है ?
उत्तर ४ - ..........................................................................................................................................................................................................
प्रश्न ५ – सभी देवी- देवताओं में गणेश जी का पूजन सर्वप्रथम होता है , क्यों ?
उत्तर ५ - ....................................................................................
...................................................................................................
प्रश्न ६ – निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए –
१ – निश्चित  x .................. २ - सफलता x ..................
३ – सम्मान  x .................... ४ – शुभ    x ....................
प्रश्न ७ – ‘ता’ प्रत्यय वाले  दो शब्द लिखिए –
उत्तर – १ .................   २ .................
प्रश्न ८ – गद्यांश  का उचित शीर्षक लिखिए –
उत्तर - .................................................................................
प्रश्न  ९ – निम्नलिखित शब्दों के अर्थ लिखिए –
१ विशाल .................. २  समस्त ...................
प्रश्न १० – गद्यांश में आए दो विशेषण शब्द लिखिए –
उत्तर  - १ .......................  २ .......................

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Wednesday, 22 August 2018


                                                                          अपठित ३५ 
आजकल लगभग हर दिन दुर्घटनाएँ होती रहती हैं | कभी-कभी तो इतनी भयानक होती हैं कि लोग जीवन से भी हाथ धो बैठते हैं, और यदि बच भी गए तो या तो अंग-भंग हो जाते हैं या विकृत हो जाते हैं | जो धनहीन हैं वे इस विकृति के साथ जीवन जीने को विवश होते हैं ,जो धनवान होते हैं वे अपने विकृत अंग को सुधारने के लिए भांति-भांति के प्रयास करते हैं और बहुत कुछ सुधार कर भी लेते हैं | विकृत अंग को सुधारने-सजाने के कार्य को हम प्लास्टिक सर्जरी कहते हैं , जिसे शल्य चिकित्सक करते हैं | इसी प्रकार मनुष्य का कोई अपना बहुत ही प्रिय जब आघात देता है तब उसकी चोट सीधे ह्रदय पर लगती है | उस पीड़ा से मानसिक तनाव होता है , इस तनाव से अन्य कई बीमारियाँ जन्म ले लेती हैं | मानसिक इलाज के लिए मनुष्य मनोचिकित्सक के पास जाता है | मानसिक सर्जरी मनोचिकित्सक के साथ-साथ व्यक्ति स्वयं अपनी सर्जरी स्वयं कर सकता है |
भावनात्मक निशानों या फिर मन की गहरी चोटों का इलाज किसी डॉक्टर द्वारा नहीं किया जा सकता , इसके लिए हमें स्वयं ही मानसिक घावों को पूरी तरह काटकर बाहर निकलना होगा | जिस प्रकार सर्जरी के लिए उपकरणों की आवश्यकता होती है , उसी प्रकार मानसिक सर्जरी के लिए क्षमा ,आत्मसम्मान, ईमानदारी , करुणा , प्रेम और आत्मविश्वास जैसे उपकरणों की आवश्यकता होती है | ये सभी उपकरण ईश्वर ने मनुष्य को सहज ही दिए हैं | मनुष्य ही इनका प्रयोग करना भूल जाता है ,इससे मन के घाव बढ़ते जाते हैं | शरीर की सर्जरी करने के लिए एक कुशल सर्जन की आवश्यकता होती है , उसी प्रकार मानसिक सर्जरी के लिए किसी चिकित्सक की नहीं बल्कि व्यक्ति के सकारात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है | सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करना हर इंसान के लिए कठिन तो है पर असंभव नहीं | जीवन में सुख-दुःख समान रूप से आते रहते हैं ,इसी तरह शारीरिक व मानसिक चोटें भी जीवन का एक हिस्सा हैं | इन्हें जीवन से निकाला नहीं जा सकता , लेकिन कम किया जा सकता है | हम सड़क पर चलते हुए दुर्घटनाओं से सावधान रहते हैं, ठीक उसी तरह क्रोध और लड़ाई के समय मानसिक दुर्घटना से सावधान रहना चाहिए और आवेश अथवा क्रोध में अनर्गल वार्तालाप नहीं करना चाहिए | क्रोध करने से मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ता है यहाँ तक कि दिमाग की नसें भी फट सकती हैं | अंततः स्वयं को इनसे बचाने के लिए हमें अपने अंतर्मन में धैर्य,शांति और क्षमा आदि गुणों को विकसित करना चाहिए |
प्रश्न १ – गद्यांश के अनुसार मनुष्य के अंगों में विकृति आ जाती है |
कैसे ? स्पष्ट कीजिए |
प्रश्न २ – अंगों कोसुधारने का कार्य कौन करता है, तथा इस कार्य को क्या कहते हैं ?
प्रश्न ३ – मानसिक चोट के इलाज के लिए मनुष्य किसके पास जाता है ?
प्रश्न ४ – मानसिक सर्जरी के लिए कौन-कौन से उपकरणों की आवश्यकता होती है ?
प्रश्न ५ - मानसिक सर्जरी के लिए मनुष्य का दृष्टिकोण कैसा होना चाहिए ?
प्रश्न ६ – हमें अपने अंतर्मन में किन गुणों का विकास करना चाहिए ?
प्रश्न ७ – निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए –
१ – धनवान x ३ – गुण x
२ - सुख x ४ – शांति x
प्रश्न ८ – गद्यांश से चार संज्ञा शब्द चुनकर लिखिए –
१ - २ -
३ - ४ -
प्रश्न ९ – निम्नलिखित शब्दों के वचन बदलिए –
१ – बीमारियाँ x २ – चोटों x
३ – दुर्घटना x ४ – नसें x
प्रश्न – आप गद्यांश को क्या नाम देना चाहेंगे ?

Thursday, 9 August 2018


                                                             अपठित ३४

संकल्प शब्द देखने, सुनने तथा लिखने में कुछ ख़ास नहीं है, केवल साढ़े तीन अक्षरों का मेल है | किन्तु इसमें छिपे रहस्य को केवल वे लोग ही जान पाते हैं, जो इस पर विश्वास करते हैं , इसे दृढ़ता से अपनाते हैं | संकल्प का बीज जब मन में डाला जाता है तब सारे प्रयास उसी दिशा में स्वतः होने लगते हैं | सारे रास्ते उस दिशा की ओर चल पड़ते हैं | सारी परिस्थितियाँ अनुकूल हो जाती हैं | एक अवसर ऐसा भी आता है जब शरीर थकने लगता है किन्तु संकल्प का बीज अंकुरित एवं विकसित होने से रुकता नहीं है | एक संकल्प ही तो है जिसके बल पर अर्जुन ने घूमती मछली की आँख में लक्ष्य साधा था | देश की आजादी का संकल्प ले अनगिनत महावीरों ने अपने प्राणों की आहुति दी और देश को स्वतंत्र कराया | संकल्प, संकल्प होता है, उसका कोई विकल्प नहीं होता | यदि हम संकल्प में विकल्प को तलाशेंगे तो लक्ष्य को नहीं पा सकते | किन्तु सच तो यह है कि आज जब हम कोई संकल्प लेते हैं तो विकल्पों की एक लम्बी कड़ी हमारे सामने खुलने लगती है कि यदि ‘ऐसा नहीं हुआ तो ऐसा कर लेंगे नहीं तो ऐसा तो हो ही जाएगा’ | अगर हमारे स्वतंत्रता सेनानी, स्वतंत्रता का विकल्प ढूंढते तो परिस्थितियाँ कुछ और होतीं | संकल्प का मतलब है बस यही, कुछ और नहीं’ | ‘यह भी और वह भी’ विकल्पों के संकेत हैं | हमें अपनी सामर्थ्य के अनुसार संकल्प करने चाहिए | संकल्प यदि छोटे से बड़े की ओर हों तो उनके पूर्ण होने में संदेह नहीं होता | तो आज से अभी से छोटे-छोटे संकल्प करें जैसे – पानी बचाने का, पेड़ों की सुरक्षा का, लोगों को साक्षर बनाने का | इस प्रकार के संकल्प समाज की प्रगति तो करते ही हैं साथ ही आत्मसंतुष्टि भी प्रदान करते हैं | 
प्रश्न १ – आपने अनुच्छेद ध्यान से पढ़ा है , आप इसे क्या नाम देना चाहेंगे ?
प्रश्न २ – संकल्प का बीज अंकुरित होते ही क्या-क्या होने लगता है ?
प्रश्न ३ – संकल्प शब्द में छिपे रहस्य को कौन जान पाता है ? 
प्रश्न ४ – ‘संकल्प का कोई विकल्प नहीं होता’ स्पष्ट कीजिए 
प्रश्न ५ – हमें कैसे संकल्प करने चाहिए ? उदाहरण देकर समझाइए |
प्रश्न ६ – ‘साक्षर’ शब्द से आप क्या समझते हैं ? 
प्रश्न ७ – गद्यांश में से दो भाववाचक संज्ञा शब्द ढूँढ़ कर लिखिए |
प्रश्न ८ - गद्यांश में से दो शब्द चुनिए जिनमें ‘इत प्रत्यय’ लगा हो |
प्रश्न ९ – निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए –
१- आँख २ - आज़ादी 
प्रश्न १० – निम्नलिखित शब्दों में (वि एवं निर) उचित उपसर्ग लगाकर नया शब्द बनाइए –
१- बल २- देश

Wednesday, 18 July 2018


                                  अपठित गद्यांश ३३ 

बात उन दिनों की है जब सिकंदर विश्व विजय के लिए अपनी बड़ी एवं शक्तिशाली सेना के साथ निकला हुआ था | कई देशों को जीतते हुए वह एक छोटे से देश में जा पहुँचा और उसे भी जीत लेने के लिए युद्ध प्रारंभ कर दिया | मगर वहाँ का राजा फिलिप बड़ा ही समझदार था | उसकी कुशाग्र बुद्धि के चर्चे दूर-दूर तक फैले हुए थे | सिकंदर की ताकत देखकर उसने सोच-समझकर रणनीति बनाई | योजनानुसार उसने अपनी सम्पूर्ण सेना मोर्चे पर खड़ी कर दी और युद्ध का नगाड़ा बजते ही युद्ध समाप्ति की घोषणा कर दी | युद्ध समाप्ति की घोषणा होते ही सिकंदर के सैनिकों ने राजा फिलिप को कैद कर लिया | उसे सिकंदर के सामने लाया गया | सिकंदर बोला “अब तुम हमारे गुलाम हो और हम तुम्हारे शासक | मगर तुमने  बिना लड़े ही हार क्यों मान ली” ? फिलिप ने उत्तर दिया – “ बादशाह सेना के सामने हमारी सेना कुछ भी नहीं | इस युद्ध में हमारी हार निश्चित थी , तो फिर बेगुनाहों का खून बहाकर क्या लाभ होता ?” फिलिप के उत्तर से प्रभावित होकर सिकंदर ने उसकी बेड़ियाँ खुलवा दीं | तभी वहाँ उन्हें कोलाहल सुनाई दिया | राजा फिलिप ने सिकंदर से पूछा “ यह बाहर क्या हो रहा है | सिकंदर बोला “ हमारे सैनिक आपके शहर में तबाही मचा रहे हैं और लोगों को लूट रहे हैं”| फिलिप ने बुद्धिमानी दिखाते हुए कहा –“मगर बादशाह , अब ये शहर  मेरा नहीं , बल्कि आपका ही शहर है | आप अपने ही शहर और अपनी ही प्रजा को लूट रहे हैं | क्या लोग इसीलिए लोग आपको सिकंदर महान कहते हैं”| राजा फिलिप की बात सुनकर सिकंदर एक बार फिर राजा फिलिप की बुद्धि का कायल हो गया | उसने तुरंत कत्लेआम और लूटपाट को रुकवाने का आदेश दिया और उस देश की बागडोर फिलिप को ही सौंपकर वापस लौट गया |
प्रश्न १ - सिकंदर के बारे में आप क्या जानते हैं ? दो से तीन पंक्तियों में लिखिए|
प्रश्न २ - राजा फिलिप कैसा राजा था ?
प्रश्न ३ - राजा फिलिप ने युद्ध का नगाड़ा बजते ही युद्ध समाप्ति की घोषणा कर दी क्यों ?
प्रश्न ४ - राजा फिलिप के उत्तर को सुनकर सिकंदर ने क्या किया ?
प्रश्न ५ - सिकंदर राजा फिलिप की बुद्धि का कायल क्यों हुआ ?
प्रश्न ६ – गद्यांश से चार विशेषण शब्द चुनकर लिखिए –
प्रश्न ७ - गद्यांश से दो भाववाचक संज्ञा शब्द चुनकर लिखिए-
प्रश्न ८ – निम्नलिखित शब्दों के अर्थ लिखिए –
क – प्रारंभ      ख – कत्लेआम       ग - कोलाहल    घ -   बागडोर
प्रश्न ९ - निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए
क- गुलाम                ख- समझदार       ग- शहर           घ- प्रजा
प्रश्न १० - निम्नलिखित वाक्यांशों के लिए एक शब्द गद्यांश से चुनकर लिखिए –
१ – जिसकी बुद्धि तेज हो –
२ – युद्ध जीतने हेतु बनायी जाने वाली योजना -


Saturday, 14 July 2018

                                             अपठित ३२ 


बच्चों को बचपन से ही निडर बनाएँ, उन्हें भयमुक्त जीवन दें | क्योंकि भय एक प्रकार का विकार है | भय से मनुष्य टूट जाता है और धीरे-धीरे उसके व्यक्तित्व का विकास भी रुक जाता है | भय की कोई वास्तविकता नहीं होती | इसे अपने पास फटकने न दें | यह स्वयं हमारे द्वारा पैदा किया हुआ एक दोष होता है | खेल-खेल में हम बच्चों को भयभीत करते हैं, कुछ बच्चे तो बड़े होने पर उस भय से बाहर निकल जाते हैं किन्तु कुछ नहीं | ऐसे बच्चे जीवन के अंत तक डरपोक ही बने रहते हैं | मनोविज्ञान भय को एक विकार मानता है | जब मनुष्य मन से भयभीत होता है, तो उसके मस्तिष्क की ग्रन्थियाँ सक्रिय होकर एक प्रकार का स्राव प्रवाहित करती हैं | इस कारण उसकी मानसिक दृढता कमजोर हो जाती है | इसका प्रभाव हर व्यक्ति पर अलग-अलग तरह से पड़ता है | अतः बच्चों को बचपन से ही बहादुर बनाने का प्रयास करें | उन्हें धर्मवीर , शूरवीर या कर्मवीर बनाएँ | जैसे शिवाजी की माँ ने उन्हें बनाया | बच्चों के मन में प्रारम्भ से ही अच्छे संस्कार डाले जाएँ और उन्हें समाज के हित के लिए कार्य करने की प्रेरणा दी जाए | यदि बच्चों के कोमल मन में उच्च आदर्शों एवं शिक्षा तथा संस्कारों का मेल होगा तो वे स्वयं ही कुछ अच्छा करने के लिए प्रेरित होंगे | भयभीत व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में असफल ही होता है | इसके विपरीत जिसके पास आत्मविश्वास व आंतरिक मजबूती है वह बड़े से बड़ा काम चुटकी बजाते ही कर लेता है | यदि हमें डरना है तो पाप से डरें, कुकर्म से डरें | ईश्वर ने हमें डरपोक बनकर जीने के लिए नहीं भेजा है | आप भयमुक्त जीवन जीना सीखें | अपने भीतर छुपी हुई शक्तियों को जाग्रत कर उन्नति के शिखर को छुएँ | सत्कार्यों से निर्भयता आती है एवं जीवन सत्यम, शिवम् एवं सुन्दरम की स्थिति को प्राप्त होता है |

   प्रश्न १ – गद्यांश का उचित शीर्षक बताइए –
क-       क -   उच्च आदर्श      ख – अच्छे संस्कार     ग – बहादुर जीवन घ – भयमुक्त जीवन

प्रश्न २ – डरपोक शब्द का उचित विलोम शब्द को चुनिए |
क – कायर        ख- बहादुर       ग – सत्य            घ –जीना

प्रश्न ३ – पाप शब्द का उचित विलोम शब्द को चुनिए |
क – पुण्य        ख – कुकर्म       ग – शक्ति           घ – पापी

प्रश्न ४ -  उन्नति शब्द का उचित पर्यायवाची  शब्द को चुनिए |
क – अवनति      ख – अधोगति    ग- प्रगति       घ – प्रगतिशील

प्रश्न ५ – जीवन के अंत तक बच्चे भयभीत क्यों बने रहते हैं ? स्पष्ट कीजिए |

प्रश्न ६ – ‘बच्चे निडर बनें’ इसके लिए माता-पिता को क्या प्रयास करना चाहिए ?

प्रश्न ७ – गद्यांश में हमें किससे डरने के लिए कहा गया है ?

प्रश्न ८ – गद्यांश में आए ‘ता’ प्रत्यय वाले दो शब्द ढूंढकर लिखिए |

प्रश्न ९ – भयभीत व्यक्ति एवं निडर व्यक्ति के बीच क्या अंतर होता है ? स्पष्ट कीजिए |

प्रश्न १० - जीवन में सत्यम, शिवम् एवं सुन्दरम की स्थिति कब प्राप्त होती है ?

Friday, 1 June 2018



                          अपठित ३१ 
कहा जाता है कि यूनान के प्रसिद्ध दार्शनिक सुकरात का मुख सौंदर्य विहीन था | किन्तु उनके विचारों में अत्यंत प्रबल सुन्दरता थी अतः लोग उन्हें बहुत पसंद करते थे | एक बार वे अपने शिष्यों के साथ बैठे हुए थे, तभी एक ज्योतिषी वहाँ आया वह सुकरात को जानता नहीं था | उसने सुकरात का चेहरा देखकर बताया कि तुम्हारे नथुनों की बनावट बता रही है कि तुममें क्रोध की भावना अत्यंत प्रबल है | यह सुनकर सुकरात के शिष्य नाराज होने ,किन्तु सुकरात ने उन्हें रोक लिया | ज्योतिषी ने आगे बताया कि तुम्हारे सिर की आकृति तुम्हारे लालची होने का प्रमाण दे रही है, ठुठडी की बनावट से तुम सनकी और होठों से तुम देशद्रोह के लिए तत्पर प्रतीत होते हो | यह सुनकर सुकरात ने ज्योतिषी को पुरस्कार दिया | सुकरात के शिष्यों ने इसका कारण पूछा तो सुकरात ने स्पष्ट किया कि ये सारे दुर्गुण मुझमें हैं किन्तु ज्योतिषी मुझमें स्थित विवेक की शक्ति को न देख सका जिसके कारण मैं इन सभी दुर्गुणों को नियंत्रण में रखता हूँ | 
हर इंसान को अपने भीतर स्थित विवेक को जागृत कर सदैव दुर्गुणों को काबू में रखना चाहिए |  

उपरोक्त गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए –

प्रश्न १- सुकरात किस देश के निवासी थे ?

प्रश्न २ – सुकरात देखने में कैसे थे ?

प्रश्न ३ – ज्योतिषी ने उनके नथुनों को देखकर क्या कहा ?

प्रश्न ४ – ज्योतिषी ने सिर की आकृति देखकर सुकरात के बारे में  क्या आंकलन किया ?

प्रश्न ५ – सुकरात के विचारों के बारे में बताइए |

प्रश्न ६ – ज्योतिषी की बात सुनकर सुकरात ने उसके साथ क्या किया ?

प्रश्न ७ – सुकरात ने अपने शिष्यों को अपने दुर्गुणों के बारे में क्या कहा ?

प्रश्न ८ – निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए -

    १     इंसान -                  २ – शक्ति -

प्रश्न ९ – निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए –

      १-    नाराज -               २ – दुर्गुण -  
            
प्रश्न  १० – गद्यांश से दो संज्ञा शब्द छांटकर लिखिए –

      क -                    ख -                    



Wednesday, 23 May 2018



                              अपठित ३० 
 शिक्षा मनुष्य को मनुष्य बनाती है | शिक्षा के बिना मनुष्य पशु के समान होता है | शिक्षित मनुष्य ही राष्ट्र की प्रगति में सक्रिय योगदान कर सकते हैं | वैसे तो मनुष्य की प्रथम पाठशाला उसका परिवार होता है और उसकी प्रथम गुरु उसकी माँ होती है जो नवजात शिशु में संस्कारों को सिंचित करती रही है | जब तक बच्चा विद्यालय जाने के योग्य नहीं हो जाता परिवार में माँ के अतिरिक्त अन्य सदस्य भी उसके गुरु की भांति उसे शिक्षित करते रहते हैं | परिवार के बाद शिक्षा प्राप्त करने का सबसे अच्छा स्थान विद्यालय होता है | यहाँ आकर उसका सर्वांगीण विकास होता है | विद्यालय में पुस्तकीय ज्ञान के अलावा उसे नृत्य-संगीत एवं खेल-कूद आदि का भी प्रशिक्षण दिया जाता है | छात्रों द्वारा अपनी-अपनी रूचि के अनुसार खेलों का चयन किया जाता है | चुनी हुई गतिविधियों में दक्षता प्राप्त कने के लिए वे दिन-रात अथक परिश्रम करते हैं | विद्यालय के प्रशिक्षक भी उनमें जान डालने का कार्य करते हैं तभी ऐसे विद्यार्थी देश का नाम विश्व में स्वर्णाक्षरो में लिखवा देते हैं |
प्रश्न १- शिक्षा के बिना मनुष्य किसके समान होता है ?
प्रश्न २- मनुष्य की प्रथम गुरु कौन होती है ?
प्रश्न ३- परिवार के बाद मनुष्य कहाँ शिक्षा प्राप्त करता है ?
प्रश्न ४- विद्यालय में पुस्तकीय ज्ञान के अतिरिक्त और क्या-क्या सिखाया जाता है ?
प्रश्न ५- कैसे मनुष्य राष्ट्र की प्रगति में सक्रिय योगदान कर सकते हैं ?
प्रश्न ६- ऐसे किन्हीं दो खिलाडियों के नाम लिखिए जिन्होंने विश्व-स्तर पर नाम कमाया हो |
प्रश्न ७- गद्यांश में आए दो संयुक्ताक्षर लिखिए |
प्रश्न ८- निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए
क – बच्चा                ख – देश                                        
प्रश्न ९- निम्नलिखित शब्द का अर्थ समझाइये –
‘अथक परिश्रम’
प्रश्न १०- प्रस्तुत गद्यांश को क्या नाम देना चाहेंगे ?                                                    

Sunday, 29 April 2018


अपठित २९ 

नजर उठाकर जहाँ भी देखें आपको हर इंसान दुःख ,अवसाद ,तृष्णा ,घृणा ,नफरत ,ईर्ष्या आदि जैसे दुर्गुणों से त्रस्त दिखाई देगा | प्रत्येक इंसान तनावग्रस्त है | जीवन शैली इतनी नीरस हो चुकी है कि उमंग-उल्लास तो नदारद हो गए हैं जीवन से | भौतिक सुखों को तलाशते  हुए  व्यक्ति अपनी आंतरिक शक्तियों को विस्मृत कर चुका है | अनंत सुखों का स्वामी होकर भी व्यक्ति दरिद्र बना हुआ है, वह निरंतर दुःख और तनाव से पीड़ित है | वह कितने ही भौतिक संसाधनों का अम्बार लगा ले, कभी भी सुखी नहीं हो सकता जब तक वह अपने भीतर सुख नहीं ढूंढेगा तब तक दुखों से कैसे मुक्ति पायेगा ? हमें सुख की प्राप्ति के लिए  पीछे मुड़कर अपनी समृद्ध परम्परा को देखना होगा, अपनाना होगा अपनी प्राचीन पद्धतियों को, जिनसे हमें एक सशक्त मार्ग मिलेगा जिसे हम योग कहते हैं | हमारे भीतर अनंत शक्तियां छिपी हैं, आवश्यकता है उन्हें जगाने की | योग ही एक ऐसा उत्तम एवं सरल मार्ग है जिसके द्वारा हम अपनी शक्तियों को जगाकर अनंत आनंद ,शक्तियों एवं शांति को प्राप्त कर सकते हैं | महर्षि पतंजलि ने योगशास्त्र में लिखा है मन की वृत्तियों  को रोकना ही योग है | यदि हम  अपने अंतःकरण को पवित्र कर मन को नियंत्रित कर सद्कर्म करते हुए जीवन यापन करें तो स्वयं तो अनंत आनंद को प्राप्त करेंगे ही साथ ही सभी को सुख प्रदान करेंगे | तभी सर्वे भवन्तु सुखिनः की उक्ति चरितार्थ होगी तथा वसुधैव कुटुम्बकम की भावना बलवती होगी | न कोई मार-काट होगी, न किसी से कोई आतंकित होगा | वसुंधरा भी शस्यश्यामला होगी , वायु एवं जल भी सुगन्धित होंगे | बस आवश्यकता है तो सिर्फ इस बात की, कि हम अपने मन में उठते  बुरे विचारों को नियंत्रित करें और जन-कल्याण को महत्त्व दें | इन सबकी प्राप्ति हमें योग द्वारा हो सकती है | तो क्यों न हम आज से बल्कि अभी से योग अपनाएँ और जीवन को सुखी बनाएँ | 

उपरोक्त अनुच्छेद को ध्यान से पढ़कर निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर लिखिए -

प्रश्न १- वर्तमान समय में मनुष्य कौन से दुर्गुणों से त्रस्त है ?
प्रश्न २- मनुष्य दुखों से कैसे मुक्ति पायेगा ?
प्रश्न ३ हमें सुख की प्राप्ति के लिए क्या करना चाहिए ?
प्रश्न ४ योग के द्वारा चरितार्थ होने वाली उक्तियों को लिखिए |
प्रश्न ५ आपने अनुच्छेद को ध्यान से पढ़ा है , आप इसे क्या नाम देना चाहेंगे ?
प्रश्न ६ - निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए -
क - सुखी -                                            ख - अनंत -
ग -  जीवन                                            घ - स्वामी
प्रश्न ७ - निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए -
क- आनंद -  १-                             २ -
ख- इंसान - १-                              २ - 
प्रश्न  ८ - गद्यांश से चुनकर कोई  दो  संयुक्ताक्षर  शब्द  लिखिए -
१-                                               २-
                                             
     

Sunday, 11 February 2018



                             अपठित २८ 
अहंकार एक ऐसा दुर्गुण है जो क्रमशः मनुष्य का,परिवार का ,समाज का देश का और अंततः मानव जाति का नाश कर डालता है | अहंकारवश मनुष्य पापकर्म करता रहता है और इसी का प्रतिफल उसे जन्म-जन्मान्तर भुगतना पड़ता है | अहंकार एक राक्षसी प्रवृत्ति है | इस प्रवृत्ति की छाया में अन्य दुर्गुण एकत्रित होकर मनुष्य को पूरा राक्षस बना देते हैं | हमारे धर्म ग्रन्थों में राक्षसों की चर्चा हर युग में मिलती है | आज भी राक्षसी प्रवृत्तियों वाले लोग बहुतायत मिल जाते हैं | ऐसे लोगों के बारे में तो तुलसीदास जी का रामचरितमानस में लिखित कथन आज भी उतना ही सत्य है कि राक्षस मौका मिलने पर अपने हितैषियों का भी अहित करने से नहीं चूकते | दूसरों के अहित में ही इन्हें अपना लाभ दिखाई देता है | दूसरों के उजड़ने में इन्हें हर्ष एवं उनकी उन्नति में ये बेहद कष्ट का अनुभव होता है | ये दूसरों की बुराई करते हैं | दूसरों के दोषों को असंख्य नेत्रों से देखते हैं | दूसरों का काम बिगाड़ने के लिए दूध में मक्खी की भांति गिर जाते हैं | ये दूसरों का काम बिगाड़ने के लिए अपने प्राण तक गँवा देते हैं | अहंकार के कारण ये ईश्वर पर विश्वास न कर अपने ही निर्णयों को सर्वश्रेष्ठ मान दूसरों पर थोपने का प्रयास करते हैं | राक्षसी प्रवृत्ति के लोग नैतिक को अनैतिक मानते हैं, इस कारण आस-पास का वातावरण नकारात्मक हो जाता है | ऐसी बुरी प्रवृत्ति की बढ़त के कारण पृथ्वी ने प्रभु के समक्ष निवेदन किया कि “हे भगवान मुझे पर्वत ,वृक्षों आदि का भार इतना महसूस नहीं होता जितना नकारात्मक एवं दुष्प्रवृत्ति के लोगों के कारण होता है”| ऐसे लोगों को अपने दुष्कर्मों का प्रतिफल आने वाले जन्मों में भोगना ही पड़ता है | अतः मनुष्य को स्वाध्याय के माध्यम अपने भीतर झाँकना चाहिए एवं उस द्वार को पूर्णतः कसकर बंद कर देना चाहिए जहाँ से दुष्प्रवृत्तियों के आने की संभावना हो | इस प्रयास से ही मानवता जीवित रह पाएगी तथा धरती माँ भी सही अर्थों में वसुन्धरा बन पाएगी |
गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए –
प्रश्न १- अहंकार के बारे में आपके क्या विचार हैं ? कम से कम तीन वाक्यों में स्पष्ट करिए |  
प्रश्न २- गद्यांश में प्रयुक्त कहावत को लिखिए | १
प्रश्न ३- कैसे लोगों के कारण वातावरण नकारात्मक हो जाता है ? १
प्रश्न ४- पृथ्वी ने भगवान से क्या निवेदन किया था ? १
प्रश्न ५- गद्यांश से पृथ्वी शब्द के दो पर्यायवाची शब्द ढूंढ़कर लिखिए | १
प्रश्न ६- गद्यांश से दो शब्द उपसर्ग वाले तथा दो शब्द प्रत्यय ढूंढ़कर लिखिए | २
प्रश्न ७- इन शब्दों के विलोम शब्द लिखिए -१  
क-  लाभ x -----------------     ख- धरती x -----------------------

Saturday, 3 February 2018

अपठित गद्यांश ! समस्या नहीं , अब केवल समाधान :                         अपठित २७    कहते हैं न कि...


कहते हैं न कि...
:                          अपठित २७      कहते हैं न कि यदि लगन लग जाए तो कोई भी कार्य पूर्ण होते देर नहीं लगती | और यदि लगन रचनात्मक एवं सक...
                        अपठित २६    
कहते हैं न कि यदि लगन लग जाए तो कोई भी कार्य पूर्ण होते देर नहीं लगती | और यदि लगन रचनात्मक एवं सकारात्मक हो तो वह प्रतिष्ठा एवं ख्याति अर्जित कर लेती है | लगन को हम धुन भी कह सकते हैं, जैसे तुलसीदास जी को रामधुन लगी तो रामचरितमानस जैसी कालजयी कृति  की रचना हुई | मीराबाई ,चैतन्य आदि ने तो गिरधर गोपाल की धुन में ही जीवन व्यतीत किया | वर्तमान समय में भी कुछ परोपकारी समाज सेवियों द्वारा समाज के उत्थान एवं कल्याण की लगन कुछ इस प्रकार सामने आ रही है कि लोग अपने आस-पास के निर्धन तथा पिछड़े वर्ग के बच्चों को शिक्षित करने  का कार्य कर समाज को नयी दशा एवं दिशा प्रदान कर रहे हैं | किसी को सर्दियों के मौसम में ठिठुरते लोगों को कम्बल ओढ़ाने की लगन है तो किसी को गरम चाय की दो चुस्कियों से राहत पहुँचाने की लगन है | इतना ही नहीं हमारी प्राचीन परम्पराओं तथा संस्कृति को आगे बढ़ाने की लगन भी प्रायः देखने को मिलती है पक्षियों को दाना डालने की , पानी पिलाने की तथा घायल पशु-पक्षियों का उपचार आदि कार्य के रूप में | कुछ समय पहले एक किस्सा सामने आया था कि कोई एक व्यक्ति किसी लावारिस लाश का दाह संस्कार कर देता था | कितना बड़ी एवं सकारत्मक सोच है| अतः लगन का मुद्दा कोई भी हो रचनात्मकता एवं सकारात्मकता अवश्य होनी चाहिए, जिससे समाज को सही दशा, दिशा एवं वसुधैव कुटुम्बकम का सन्देश मिल सके |   
गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए –
प्रश्न १ – गद्यांश में प्रयुक्त प्रत्यय (किन्हीं दो )शब्दों को चुनिए तथा प्रत्यय एवं शब्दों को अलग-अलग करके लिखिए | २
प्रश्न २- जीवन में लगन क्या रूप होना चाहिए ? स्पष्ट करें | १
प्रश्न ३- सकारात्मक लगन से हम क्या अर्जित कर सकते हैं ? १
प्रश्न ४ - तुलसीदास जी की कृति में किस महान चरित्र की जीवन गाथा है ? कृति एवं चरित्र का नाम बताएँ | १.५
प्रश्न ५- यदि आपको अपने आस-पास निर्धन-लाचार या बेबस लोग दिखें,तो आप उनके लिए क्या करना चाहेंगे ? स्पष्ट करें | १.५  
प्रश्न ६- आप अनुच्छेद को क्या नाम देना चाहेंगे ? १
प्रश्न ७- निम्नलिखित शब्दों की वर्तनी शुद्ध करिए – २
क – राचनात्मक            ख –आप-पास
ग- शिकषित               घ- संसकृति


Tuesday, 30 January 2018

                       अपठित २५ 
बहुत पुरानी बात है , किसी राज्य में यज्ञ हेतु राजा एक जानवर की बलि चढ़ाने जा रहा था | उसी समय वहाँ से भगवान गौतम बुद्ध गुजरे | राजा को ऐसा करते देख उन्होंने राजा से कहा –“ठहरो वत्स ! यह क्या कर रहे हो ? इस बेजुबान की बलि क्यों चढ़ा रहे हो ? राजा ने कहा – “हे महात्मन ! इसकी बलि चढ़ाने से मुझे बहुत पुण्य प्राप्त होगा, और यह हमारी प्रथा भी है” | यह सुनकर बुद्ध ने कहा – “राजन ! यदि ऐसी बात है तो मुझे भेंट चढ़ा दो, तुम्हें और ज्यादा पुण्य मिलेगा | जानवर के मुकाबले एक मनुष्य की बलि से तुम्हारे भगवान ज्यादा खुश होंगे”| यह सुनकर राजा थोड़ा डरा, क्योंकि जानवर की बलि चढ़ाने में कोई भय नहीं था | जानवर की बलि चढ़ाने पर उस बेजुबान की तरफ से बोलने वाला कोई होगा , ऐसा राजा ने सोचा न था | मगर बुद्ध की बलि चढ़ाने की बात से ही राजा काँप गया | उसने कहा – अरे नहीं महात्मन ! आप ऐसी बात न करें | इस बारे में तो मैं सोच भी नहीं सकता, जानवर की बात अलग है | ऐसा तो सदियों से होता आया है | फिर इसमें किसी का नुकसान भी तो नहीं है | जानवर का फायदा ही है, वह सीधा स्वर्ग चला जाएगा” | बुद्ध बोले –“ यह तो बहुत ही अच्छा है , मैं स्वर्ग की तलाश कर रहा हूँ ,तुम मुझे बलि चढ़ा दो और मुझे स्वर्ग भेज दो | अथवा तुम ऐसा क्यों नहीं करते कि तुम अपने माता-पिता को ही स्वर्ग भेज दो , और खुद को ही क्यों रोके हुए हो ? जब स्वर्ग जाने की इतनी सरल व सुगम तरकीब मिल गई है तो फिर काट लो अपनी गर्दन | इस बेचारे जानवर को क्यों स्वर्ग भेज रहे हो, शायद यह जाना भी न चाहता हो | जानवर को स्वयं ही निश्चित करने दो कि उसे कहाँ जाना है” | राजा के सामने अपने तर्कों की पोल खुल चुकी थी | वह महात्मा बुद्ध के चरणों में गिर पड़ा और क्षमा माँगते हुए बोला – हे महात्मन ! आपने मेरी आँखों पर पड़े अज्ञान के परदे को हटा कर जो मेरा उपकार किया है उसे मैं जीवन भर नहीं भूल सकता”|
प्रश्न १- राजा क्या करने जा रहा था ?
प्रश्न २- वहाँ से कौन गुजर रहा था ?
प्रश्न ३- बुद्ध ने राजा से क्या कहा ?
प्रश्न ४- बलि के विषय में राजा ने बुद्ध को क्या तर्क दिए ?
प्रश्न ५- बुद्ध को किसकी तलाश थी एवं उन्होंने स्वयं की बलि चढ़ाने के लिए क्यों कहा ?
प्रश्न ६- बुद्ध ने किस-किस को स्वर्ग भेजने की बात राजा से कही ?
प्रश्न ७- निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द अनुच्छेद से छाँटकर लिखिए |
१-अज्ञान x -------------------      २- पाप x ---------------------
प्रश्न ८- निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द अनुच्छेद से छाँटकर लिखिए  
 १ – हानि x ------------------------   २- पशु x ------------------------
प्रश्न ९ – अनुच्छेद से दो सर्वनाम शब्द चुनकर लिखिए
१-    ------------------------------   २- -------------------------
प्रश्न १० – इस अनुच्छेद से आपको क्या सीख मिलती है ?