अपठित गद्यांश २४
एक बार जब महात्मा बुद्ध
कपिलवस्तु पहुँचे तो बहुत से राजकुमार उनके अनुयायी बन गए | उनमें भगवान बुद्ध का
ममेरा भाई देवदत्त भी था | बुद्ध के साथ रहते-रहते देवदत्त ने कुछ जादुई शक्तियाँ प्राप्त कर
लीं और स्वयं को बुद्ध से श्रेष्ठ घोषित करने लगा | देवदत्त उन्हें हमेशा नीचा
दिखाने का कोई न कोई रास्ता ढूंढता रहता था | किन्तु वह हर बार असफल ही हो जाता था
| उसने भिक्षुओं को बुद्ध से विमुख करने का प्रयास कई बार किया | वह कई नए-नए तरीके अपनाकर बुद्ध को नीचा दिखाने एवं उन्हें रास्ते
से हटाने का प्रयास करता था | यहाँ तक कि वह बुद्ध की हत्या का षडयंत्र रचने लगा |
एक दिन देवदत्त ने राजा मगध के अस्तबल से एक विशाल हाथी नालगिरी को नशीला द्रव्य
पिलाकर बुद्ध के आने वाले रास्ते पर छोड़ दिया | नालगिरी के आने से सड़कों पर खलबली
मच गई और लोग जहाँ-तहाँ भाग खड़े हुए | तभी बुद्ध भी वहाँ से गुजरे | ठीक उसी समय
एक स्त्री घबराई हुई सी अपने बच्चे को छोड़ भाग खड़ी हुई | उसी क्षण जैसे ही नालगिरी
ने बच्चे को कुचलने के लिए अपना पैर उठाया , बुद्ध उसके ठीक सामने खड़े हो गए |
उन्होंने बड़े ही प्यार से हाथी को स्पर्श किया और थपथपाया | बुद्ध के स्पर्श से
नालगिरी घुटने टेक बुद्ध के सामने बैठ गया |
सच्चे तपस्वियों ,
महात्माओं में वो तेज एवं ऊर्जा होती है जो दुखी प्राणी को सुख , अशान्त प्राणी को
शांति देती है | निर्जीव में प्राण फूंक देती है | अतः सबको अपना अंतःकरण शुद्ध
एवं पावन बनाना चाहिए |
प्रश्न १- महात्मा बुद्ध
कहाँ पहुँचे ?
प्रश्न २- उनके अनुयायी
कौन-कौन थे ?
प्रश्न ३ - देवदत्त कौन था
?
प्रश्न ४- उसके पास कौन सी
शक्तियाँ थीं ?
प्रश्न ५-देवदत्त ने किस
राज्य के अस्तबल से हाथी को लिया ?
प्रश्न-६ उस हाथी का क्या
नाम था ?
प्रश्न ७- उस हाथी को
उस्नेक्य पिलाकर कहाँ छोड़ा ?
प्रश्न ८- बुद्ध के स्पर्श
से हाथी ने क्या किया ?
प्रश्न ९- गद्यांश से दो
संज्ञा शब्द चुनकर लिखिए |
प्रश्न १०-स्वविवेक से हाथी
की दो विशेषताएँ बताइए |